मसूरी
उत्तराखण्ड में अभी हाल में एक और ह्रदय विदारक घटना मार्चुला में घटित हुयी जिसमें 36 लोग काल के ग्रास में समा गए। राज्य में दुर्घटनाओ की आवृति बढ़ती जा रही है जर्जर संकरे मार्गों, गड्ढा युक्त सड़कों ओवरलोडेड अनियंत्रित रफ्तार से भाग रहे वाहनों ,परिवहन विभाग के कमजोर नियमन के कारण से अक्सर दुर्घटनाये होती हैं कुल मिलाकर राज्य में सुरक्षा मानकों के अनुरूप परिवहन का नियमन नहीं हो रहा है हमेशा की तरह राहत और बचाव कार्य में देरी होना कोई नई बात नहीं है जहाँ तक बात सरकारी निजाम की बात है वह तो सरकारी खजाने से मामूली राहत एवं जांच की घोषणा कर के रह जाता है इस पूरे प्रकरण पर एक कविता बड़े व्यथित मन से लिखी है
जनमानस की आहों में
घायल की कराहों में
काल साक्षात खड़ा हुआ है
पहाड़ की इन राहों में
उजड़ा जान माल है
हादसे विकराल हैं
दुर्घटनाओं के चंगुल में
सारे धार खाल हैं
मातम पसरा अपार हैं
शवों का अंबार है
ये दुर्घटना मात्र नहीं
ये पूरा नरसंहार है
घर परिवार उजड़ गए
बच्चे माँ से बिछुड़ गए
सैकडों फीट की खाई में
कहीं सर और धड़ गए
दारुण सा आर्तनाद है
ये कैसा विषाद है
घायलों को मिली नहीं
समय से इमदाद है
विपदा घिर के आई है
त्राहि और तबाही है
सरकारी मशीनरी बनी हुई
साहिल की तमाशाई है
हताहत सा जीवन है
खतरे में जन जन है
जर्जर हालातों में चल रहा
राज्य में परिवहन है
ह्रदय विदारक दृश्य देख
कलेजा मुँह को आता है
विपदा की मार से
पहाड़ रोज़ हिल जाता है
जाँच जाँच का ढोंग लिए
फिर सरकारी अमला आता है
सरकारी खैरात की
घोषणा सी कर जाता है
दो दिन तक मीडिया भी
ये खबर चलाता है
अगली दुर्घटना होने तक
सब खामोश सा हो जाता है
इस भीषण दुर्घटना का
दोषी बोलो कौन है
सत्ता ने भी साधा लिया
वही पुराना मौन है
डॉ एस एस रावत