मसूरी में सीएम को बुलाने की जरूरत क्या पड़ी@क्या भाजपा को हार का डर है !

मसूरी राजनीति

मसूरी
उत्तराखंड में निकाय चुनावों का प्रचार जोरों पर है। सभी दल और निर्दल अपने प्रत्याशियों को जीताने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। निगमों से लेकर निकाय तक निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा की नाक में दम कर रखा है। जब डबल इंजन से गाड़ी नही चली तो अब भाजपा ट्रीपल इंजन लगाने के बात कर रही है। यह ट्रीपल इंजन बीच में लगेगा क्या। बताते चले कि धार्मिक नगरी ऋषिकेश हो या पर्यटन नगरी मसूरी अथवा श्रीनगर नगर निगम इन सभी सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा की नींद उड़ा रखी है। मसूरी जैसी छोटी पालिका में आज मुख्यमंत्री के आने का प्रस्तावित कार्यक्रम है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नही मिली। उससे पहले सीएम उत्तरकाशी के दौरे पर जा रहे है। ऐसी सूचना जरूर पत्रकारों से मिली है।
मसूरी में कुल 25 हजार मतदाता हैं। जिनमें अप्रत्याशित मतदान हुआ भी तो 70 फीसदी तक ही पहुंच सकता है। कुल जमा 18 हजार मतदाता प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला करेंगे। अब सवाल यह है कि मसूरी से लगातार तीन बार से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी विधायक हंै। और खूब दंभ भरते है कि मसूरी का खूब विकास किया। यहां के जननेता के तौर पर वे अपने को पेश करते हंै। और हर समय यह कहते सुना जा सकता है कि उन्होंने जबरदस्त विकास किया है। किया है तो मसूरी जैसे छोटे से शहर में जिसकी कुल आबादी ही 40 से 45 हजार और मतदाता 25 हजार है। मौजूदा पालिका चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए तमाम विधायक, पूर्व मंत्री से लेकर प्रांत और जिला स्तर के भाजपा नेताओं को गली-कूचे घूमवा दिया। संघ के लोग तो सक्रिय है ही। ऐसे में सीएम साहब को क्यों कष्ट दे रहे हो। उन्हें बड़े निकायों में जाने दो महज दो दिन बाकी है प्रचार के लिए। और खुफिया तंत्र से जब भाजपाईयों को जानकारी मिली कि सीट हार सकते हंै तो मुख्यमंत्री को न्यौता दे दिया कि अब आप ही नैया पार लगाओ। हे विकास पुरूष प्रात स्मरणीय गणेश जी मसूरी तो आपकी विधानसभा का इतना छोटा-सा हिस्सा है कि इस चुनाव में आपको देहरादून निगम में भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल के लिए मजबूती से लगना चाहिए था। मसूरी में तो आपका इतना मजबूत काडर संगठन और कार्यकर्ता हंै कि आप रिमोट से ही भाजपा प्रत्याशी को जीत दिला सकते हो।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मसूरी में कांग्रेस से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी उपमा पंवार गुप्ता से भाजपाई डरे हुए हंै। भाजपा का डरना भी स्वाभाविक है। नगरपालिका मसूरी की अध्यक्ष सीट को ओबीसी कराने के बाद से ही नगर के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और आम सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निशाने पर अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा विधायक गणेश जोशी निशाने पर हैं। लोग यह कहते सुने जा रहे है कि भाजपा प्रत्याशी जो भी होती लेकिन विधायक गणेश जोशी ने सब की राजनीति ठप कर दी है।
गौरतलब है कि भाजपा मसूरी मंडल में जबरदस्त भीतरघात की संभावना और सुगबुगाहट प्रत्याशी का टिकट घोषित होते ही शुरू हो गई थी।  कई  कार्यकर्ताओं ने भाजपा की रोजाना गतिविधियों से किनारा कर दिया था। कुछ भाजपा महिला नेत्री सीट ओबीसी महिला होने की वजह से टिकट की दौड़ में शामिल न रही हो लेकिन उन सब ने भाजपा प्रत्याशी को बाहरी और पैरासूट कहना शुरू दिया था, तमाम मान-मनौव्वल के बाद भी ये अधिकांश महिला नेत्रियां भाजपा के कैंप में नही लौटी हंै। यह बात दीगर है कि इन्होंने भाजपा से भी किनारा नही किया। लेकिन इस संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है कि ये कम से कम भाजपा के लिए तो काम नही कर रही होंगी। चुनाव में जातिवाद और क्षेत्रवाद न हो तो इस काॅकटेल के बगैर चुनाव कैसे रोचक हो सकता है। इसी नाते भाजपा ने मसूरी में देवप्रयाग के आदर्श विधायक विनोद कंडारी को मैदान में उतरा। लेकिन क्षेत्रवासियों ने सोशल के मीडिया और अन्य माध्यमों से उनकी अपील ठुकरा दी। और आगाह किया कि 2027 में आने वाले विधानसभा चुनाव में देवप्रयाग से अतिरिक्त सतर्कता बरते। विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चैहान जो संविधान के ज्ञाता, प्रखर वक्ता और भाजपा में आने से पहले समाजवादी चिंतक और लोहियावाद को आगे बढ़ाने वाले युवाओं के प्ररेणा स्त्रोत है। उन्होंने एक होटल में मीटिंग कर इतिश्री कर दी। विधायक खजानदास ने कुछ क्षेत्रों में भ्रमण किया। उनका असर दिखा। भाजपा ने वैश्य समाज के लोगों को रिझाने के लिए राज्यसभा सांसद को टिहरी बस स्टेंड से पैदल मार्च करवा। रमाडा में जाकर एक बैठक करवाई। लेकिन इस बैठक में भी हांसिल कुछ नही हुआ। वैश्य समाज के प्रतिनिधि में रूप में उंगुलियों पर गिने जाने वाले लोगों ने प्रतिभाग किया। भाजपा की इन तमाम कोशिशों के बाद कांग्रेस के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी उपमा पंवार गुप्ता पर आरोपों की झड़ी लगानी शुरू कर दी। तो आम जनमानस में उहापोह स्थिति बन गई कि भाजपा प्रत्याशी और निर्दलीय उपमा पंवार गुप्ता की पहले कभी भी नगरपालिका की दहलीज तक नही पहुंचे। दोनों ही पालिका चुनाव पहली बार लड़ रही हैं। तो आरोप किस बात के। आरोप निवर्तमान अध्यक्ष अनुज गुप्ता पर लगाए गए तो भाजपा क्यों अछूती रहती। दूसरे कैंप से भी आरोपों का खंडन हुआ। इस बीच कांग्रेस ने भी हाथ साफ कर दिया। शानदार आलीशान होटलों में भाजपाईयों ने लोगों के स्टेटस के हिसाब से रात्रिभोज को मीटिंग रखी। चुनाव आयोग कितना हिसाब लेता है। यह देखना बाकी हेागा। देखते है खर्चा किस खाते में जुडेगा। मजदूर वर्ग और आम आय वाले के लिए कार्यालय या कैंप में खान-पान की व्यवस्थाएं चाक-चैबंद थी।
इस तमाम के बाद भी भाजपा कैंप की बैचेनी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोमवार को सीएम को मसूरी की सर्दवादी में राजनीतिक गरमाहट के लिए न्यौता दिया गया। तुर्रा यह कि सीएम की रैली के लिए पुरोला, नौगांव, नैनबाग और थत्यूड भवान से लेकर अन्य क्षेत्रों से कार्यकर्ताओं को बुलाने की सूचना सूत्रों से मिली है। अब देखना रोचक होगा कि सीएम की रैली के बाद भाजपा का कमल खिलेगा या चुनावी नतीजा किस करवट बैठेगा। 25 तक तो इंतजार करना ही होगा।

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