सौर पैनलों पर गुणवत्ता और ऊर्जा दक्षता प्रदर्शित करने वाला स्टार  लेबल होगा और यह कार्यक्रम पहले दो वर्षों के लिए स्वैच्छिक होगा

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NEW DELHI

सरकार सौर पैनलों के लिए एक मानक और स्टार लेबलिंग कार्यक्रम लेकर आई है। यह कार्यक्रम आज, 20 अक्टूबर, 2023 को नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह द्वारा प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम से देश के नागरिकों को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी-बीईई) द्वारा तैयार की गई स्टार लेबलिंग योजना के अंतर्गत विकसित किए गए ऐसे पीवी मॉड्यूल्स को खरीदने के लिए उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार उचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी जिन्हें आमतौर पर सौर पैनल के रूप में जाना जाता है। यह योजना आगामी 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2025 तक के लिए है। इस अवधि के लिए, कोई लेबलिंग शुल्क भी नहीं होगा।

 

एक ओर, जहां प्रदर्शन मानकों के सूत्रीकरण से ग्राहकों को सौर पैनलों के उपयोग से उन पर आने वाली लागत और ऊर्जा में बचत के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी। वहीं इसके साथ ही, यह प्रयास नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने और 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के सरकार के बड़े लक्ष्य में भी योगदान देता है।

“अब तक, उपभोक्ता के पास इन्हें स्थापित करने वालों (इंस्टॉलर) के कहे अनुसार चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था; पर स्टार लेबलिंग कार्यक्रम आने के साथ नागरिक यह जान सकते हैं कि किस ब्रांड का सौर पैनल अधिक या कम कुशल है।

मंत्री महोदय ने कहा कि मानक और लेबलिंग कार्यक्रम सार्वजनिक हित में है साथ ही उन्होंने  बताया कि यह कार्यक्रम आम आदमी और ऐसी महिलाओं को कैसे सशक्त बनाएगा जो अपने यहाँ सौर पैनल स्थापित करना चाहते हैं। “जबकि सरकार सोलर रूफ कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है पर आम नागरिक को यह बिल्कुल भी पता नहीं है कि कौन सा सौर पैनल कम अथवा  अधिक कुशल है? वर्तमान में तो वह बस  विक्रेता और  इंस्टॉलर पर निर्भर है। ऐसे में इन्हें लगाने वाला (इंस्टॉलर) कुछ भी कह सकता है और उपभोक्ता के पास इसे जांचने का कोई तरीका  भी नहीं है। पर अब, जो भी व्यक्ति ऐसी छत लगवाना चाहता है वह स्वयं देख सकता है कि किस ब्रांड का सोलर मॉड्यूल अधिक कुशल है और कौन सा कम कुशल है।”

 

“सौर पैनलों के स्टार इनेबलिंग से 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 03 करोड़ टन की कमी आएगी”

श्री सिंह ने बताया कि सार्वजनिक हित के अलावा, कार्यक्रम के लिए अन्य प्रेरणा ऊर्जा परिवर्तन पर भी  सरकार का ध्यान है। “स्टार लेबलिंग के लिए हमारा यह कार्यक्रम विश्व में अग्रणी है और इसके परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ 80 लाख  टन की  कमी आई है, कुल मिलाकर, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के मात्र  3 – 4 कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप ही प्रति वर्ष लगभग 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। आकलन यह है कि सौर पैनलों को स्टार सक्षम करने से 2030 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 03 करोड़ टन की कमी आएगी। यह इस ग्रह और मनुष्यों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।

विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने सौर पैनलों के सभी निर्माताओं से आह्वान किया कि वे आएं और स्वयं को स्टार लेबलिंग कार्यक्रम में सूचीबद्ध कराएं:

मंत्री ने उद्योग जगत से स्टार लेबलिंग कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयं को पंजीकृत कराने का आग्रह किया। श्री सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रारम्भिक दो वर्षों में स्वैच्छिक है और उसके बाद इसे अनिवार्य कर दिया जायेगा। “आज, हमने उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प चुनने का अधिकार दिया है। यह कार्यक्रम आरंभिक दो वर्षों के लिए स्वैच्छिक है फिर एक वर्ध के बाद हम इसकी समीक्षा करेंगे और अगर हमें पता चला कि उद्योग लेबलिंग के लिए आगे नहीं आ रहा है तो फिर हम इसे अनिवार्य कर देंगे, क्योंकि यह सार्वजनिक हित का मामला है। मैं सभी मॉड्यूल निर्माताओं से स्वयं को पैनल में शामिल करने का आग्रह करता हूं।”

“कुछ वर्षों के बाद, हमारे पैनल 100 प्रतिशत भारत में निर्मित एवं सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले होंगे”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले 100 प्रतिशत स्वदेश में निर्मित (मेड इन इंडिया) सोलर पीवी मॉड्यूल की दिशा में कार्य करेगी। “हम 2 साल बाद एक नीति लाएंगे, जिसके अंतर्गत पीवी सेल भी भारत में निर्मित किए जाएंगे और कहीं और से आयात नहीं किया जाएगा। अगले दो वर्षों के बाद, हम वेफर को भारत में बनाने पर जोर देंगे ताकि हमारे सौर पैनल 100 प्रतिशत भारत में निर्मित और उच्च गुणवत्ता वाले सौर पैनल हों, जहां पहले सेल और उसके बाद  इनके लिए वेफर्स भी भारत में निर्मित होंगे। भारत दूसरे सर्वश्रेष्ठ से संतुष्ट नहीं होने वाला है जबकि हम सर्वश्रेष्ठ के अलावा कुछ नहीं चाहते। इसलिए, कम कुशल पैनल समय के साथ मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूचीएएलएमएम (एप्रूव्ड लिस्ट ऑफ़ मॉडल एंड मैन्युफैक्चरर्स-एएलएमएम) से हटा दिए जाएंगे और पुराने मॉडलों को सरकार द्वारा समर्थन नहीं दिया जाएगा।”

“स्टार लेबलिंग कार्यक्रम सामान्य नागरिकों को अत्यधिक मार्गदर्शन प्रदान करेगा”

केंद्रीय ऊर्जा सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने बताया कि स्टार लेबलिंग कार्यक्रम खुदरा उपभोक्ता को  ऐसे सौर पैनलों के विभिन्न मॉडलों के बीच बेहतर अंतर करने में सक्षम बनाकर सही विकल्प चुनने में सक्षम करेगा जो कि वर्तमान में एक जैसे  ही दिखते हैं। “स्टार लेबलिंग कार्यक्रम एक ऐसे बाजार में उत्पाद विभेदीकरण लाएगा जहां उत्पाद अब तक पूरी तरह से कमोडिटीकृत हैं। वर्तमान में, नागरिक को यह पता ही  नहीं है कि कौन सा उत्पाद अच्छा है। यह कार्यक्रम नागरिकों को सही विकल्प चुनने में सहायता  करेगा।”

“सोलार रूफ टॉप के विकास में सामान्य  उपभोक्ताओं को बड़ा योगदान देना होगा”

सचिव महोदय ने बताया कि सरकार सोलार रूफ टॉप को अपनाए जाने विस्तार करना चाह रही है। “भारत की अध्यक्षता में जी 20 विचार-विमर्श के दौरान, जी-20 नेता वर्ष 2030 तक हमारी ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने के जनादेश के साथ आए। भारत ने भी अपना मानक और लेबलिंग कार्यक्रम शुरू किया है और वह इस क्षेत्र में एक ऐसा विश्व नेता बन गया है जिसके चलते हम प्रतिवर्ष लगभग 5 करोड़ 80 लाख टन कार्बन फुटप्रिंट अपनी ऊर्जा दक्षता से कम करने में सक्षम हो गए हैं। अब हम ग्रिड-स्केल सौर ऊर्जा को लागू करने में भी वैश्विक नेता हैं और अब सौर छतों के क्षेत्र में भी अपना विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें आम नागरिक एवं खुदरा उपभोक्ता – को  भी एक प्रमुख भूमिका निभानी होगी।

“सौर पैनलों का विकास तेजी से हुआ है, अब और 2030 के बीच 200 गीगावॉट क्षमता के सौर पैनल और जोड़े जाएंगे”

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के महानिदेशक, श्री अभय बाकरे ने बताया कि सोलर पीवी मॉड्यूल की वृद्धि जबरदस्त रही है तथा यह और बढ़ेगी। “अब से वर्ष 2030 तक, हम भूमि पर स्थापित  एवं सौर छतों (सोलर रूफ टॉप) दोनों से ही कम से कम 200 गीगावॉट सौर पैनल जोड़ने के लिए  आशान्वित हैं क्योंकि हमारे पास अब जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने  के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है।”

यह कार्यक्रम प्रभावी दक्षता पर आधारित है। बीईई के महानिदेशक, श्री अभय बाकरे ने कहा कियह कार्यक्रम प्रभावी दक्षता पर आधारित है और आशा है कि सौर पीवी मॉड्यूल दक्षता अपने वर्तमान के स्तरों से 2 प्रतिशत बढ़ जाएगी। साथ ही कार्य क्षमता में सुधार के कारण, बिजली उत्पादन में 33 गीगा वाट घंटा (जीडब्ल्यूएच)/वर्ष की वृद्धि होने की भी संभावना है और इससे प्रति वर्ष ~27,000 टन सीओ-2 उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा।

इसके प्रभाव के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि सामान्य 10 वर्ग मीटर की छत क्षेत्र पर, 1-स्टार पैनल के स्थान पर 2-स्टार सौर पैनल की स्थापना परिणामस्वरूप लगभग 12 प्रतिशत अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होगा, जबकि 1-स्टार की तुलना 4-स्टार और 5-स्टार पैनल से करने पर सौर पैनल की क्षमता में यह वृद्धि 29 प्रतिशत – 35 प्रतिशत तक हो सकती है।

वर्तमान में  ऐसे 15 उपकरण अनिवार्य व्यवस्था में हैंआर्थात लेबल के बिना ऐसे उपकरण बाजार में नहीं बेचे जा सकते हैं जबकि 19 उपकरण ऐसी स्वैच्छिक व्यवस्था में हैं जहां बाजार अभी विकसित होने की प्रक्रिया में है।

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