सीएम धामी ने कहा-आंदोलनकारी शहीदों के सपनों को साकार करने को सरकार कृत संकल्प
मसूरी
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मसूरी गोलीकांड की भूमिका सबसे अहम रही है। राज्य निर्माण के इतिहास मंे 2 सितंबर 1994 की घटना पूरे मानव समाज को कलंकित करने वाली थी। और इसे एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है। आज ही के दिन 2 सितंबर 1994 को शांतपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस व पीएसी ने बर्वरता से लाठी और गोलियों से भूना। और मौके पर ही 6 आंदोलनकारी शहीद हो गए। जिनमें दो महिला आंदोलनकारियों के सिर पर पुलिस-पीएसी ने गोली दागी। इन बहादुर महिला आंदोलनकारी हंसा धनाई और बलमती चैहान ने हाॅल के भीतर ही दम तोड़ दिया। शहीद होने वाले अन्य आंदोलनकारियों में बुजुर्गवार राय सिंह बंगारी, धनपत, मदनमोहन मंमगई और युवा बलवीर शामिल था। पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी की इस घटना में मौत हो गई। मसूरी गोलीकांड की 30वीं बरसी पर शहीदों के परिजनों समेत सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, काबीना मंत्री गणेश जोशी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, ओपी उनियाल, अनुज गुप्ता, भगवान सिंह धनाई, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, यूकेडी के पूर्व अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार, मंच के मसूरी अध्यक्ष देवी गोदयाल, पूरण जुयाल, भगवती प्रसाद सकलानी समेत सैकड़ों आंदोलकारियों ने शहीदों की अश्रुपूरित श्ऱद्वांजलि दी। शहीदों के परिजनों में राय सिंह बंगारी के पुत्र रविराज बंगारी, मधु बंगारी कैंतुरा, शहीद धनपत के पुत्र नरोत्तम, शहीद हंसा धनाई के पति भगवान सिंह धनाई, वरिष्ठ महिला अंादोलनकारी और 10 सालों तक सीबीआई के मुकदमें झेलने वाली सुभाषिनी बत्र्वाल अस्वस्थ होने के बाद भी व्हील चेयर पर शहीदों को नमन करने मसूरी शहीद स्थल पर पहुंची।
श्रद्वांजलि देने वालों में भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश रावत, पूर्व अध्यक्ष मोहन पेटवाल, अरविंद सेमवाल, विजय रमोला, आंदोलनकारी गंभीर सिंह पंवार, नरेंद्र सिंह पडियार, श्रीपति कंडारी, पुष्पा पडियार, अनीता सक्सेना, बिजेंद्र भंडारी, धरमपाल पंवार, होटल एसोसियेशन अध्यक्ष संजय अग्रवाल, बीना मल्ल, जबर सिंह बत्र्वाल, होटल एसोसियेशन अध्यक्ष संजय अग्रवाल, बीना गुनसोला, शूरवीर सिंह भंडारी, बिजेंद्र भंडारी, होटल एसोसियेशन अध्यक्ष संजय अग्रवाल, बीना गुनसोला, बिजेंद्र पुंडीर, मीरा सकलानी, मुकेश धनाई, रजत अग्रवाल, बीना मल्ल, माधुरी नौटियाल, राजेश्वरी देवी, विजय बिंदवाल आदि
2 सितंबर 1994 उस खौफनाक मंजर की याद आज भी मसूरी के आंदोलनकारियों और लोगों दिलोदिमाग में सिहरन पैदा कर देती है। उस घटना याद आते ही के समय वहां मौजूद लोगों के आंखों में आज भी आंसू छलक जाते है। शहीदों की याद में आज झूलाघर में उत्तराखंड शहीद स्मारक समिति के तत्वावधान में सर्वधर्म सभा का आयोजन किया। इसके बाद भारी बारिश के बाद भी शहीद स्थल में श्ऱद्वांजलि देने वाला को तांता लगा रहा।
श्ऱद्वांजलि सभा में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी ने कहा कि शहीदों आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने के प्रति सरकार संकल्पबद्व है। सरकार लगातार आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति सकारात्मकता से काम कर रही है। हाल में ही 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को स्वीकृति मिलने पर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने शाॅल भेंटकर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। मंच के अध्यक्ष देवी गोदयाल ने आभार पत्र सीएम को सौंपा। साथ ही मांग की कि मसूरी के छोटे हुए आंदोलनकारियेां केा यथाशीघ्र चिहनीकरण किया जाए। समान पेंशन अथवा सम्मान निधि की जाए। चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के प्रमाण पत्र मसूरी उपजिलाधिकारी द्वारा जारी किए जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि शहीद आंदोलनकारियों ने जो सपने उत्तराखंड के लिए देखे थे, उन्हें पूरा करने का कार्य राज्य सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि 1 सितंबर को खटीमा कांड, 2 सितंबर को मसूरी और 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा कांड हुआ, ये तीनों दिन हमारे राज्य के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने अमर शहीदों के सर्वोच्च बलिदान को कभी भूला नहीं सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे आंदोलन को बर्बरतापूर्ण कुचलने का काम तत्कालीन सरकार ने किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद आंदोलनकारियों का सपना था कि एक ऐसा उत्तराखंड बने, जहां सबको समान अधिकार मिले। इसी लक्ष्य को लेकर राज्य सरकार आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल में जारी नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखंड ने नंबर एक स्थान प्राप्त किया है। राज्य में विकास के साथ पर्यावरण संतुलन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में जी.ई.पी की शुरूआत की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के लिए हर क्षेत्र में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। आने वाले दस वर्षों में उत्तराखंड अपने विकास और उन्नति के चरम पर होगा। इसके लिए इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय के साथ कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था लागू की है एवं पेंशन दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलन में हमारी नारी शक्ति की बड़ी भूमिका रही है। इसी के दृष्टिगत राज्य सरकार ने महिलाओं को राज्य की सरकारी सेवाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। राज्य में सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। 100 से ज्यादा नकल माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाने का कार्य किया गया। इसके अलावा राज्य में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़ा कानून लाने के साथ ही दंगा रोधी कानून भी राज्य में लागू किया गया है। राज्य में डेमोग्राफी चेंज न हो, इसके लिए लैंड जिहाद पर कठोर कार्रवाई की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 16 हजार से ज्यादा नियुक्तियां विगत 3 वर्षों में सरकारी विभागों में की गई है। उन्होंने कहा कि अभी एक ही दिन में राज्य पीसीएस परीक्षा 2021 का फाइनल रिजल्ट और 2024 का प्री का रिजल्ट जारी किया गया। इस परीक्षा में अधिकांश अभ्यर्थी उत्तराखण्ड के चयनित हुए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी के शहीद स्मारक में बलिदानियों के स्मरण में संग्रहालय बनाया जायेगा। हमारे राज्य आन्दोलनकारियों के बारे में भावी पीढ़ी को जानकारी होना जरूरी है।
कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने मसूरी में स्वं इन्द्रमणि बडोनी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्वांजलि भी दी
शहीद स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत लोक गायक जितेन्द्र पंवार, लोक गायिका मंजु नौटियाल द्वारा शहीदों को समर्पित गीत एवं अनेक लोक गीतों की प्रस्तुति दी गई। मंजू नौटियाल के श्रतु मामा गीत पर उपस्थित लोग खूब झूमे। इस अवसर पर फिल्म निर्देशक व गीतकार प्रदीप भंडारी ने ‘मैं उत्तराखण्ड का शहीद हूं ‘ कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। एप्टा के कलाकारों में ममता कुमार और साथियों ने भी आन्दोलन के वक्त के गीत गाए।
संचालन अनिल गोदियाल द्धारा किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, संस्कृति कर्मी राजेन्द्र रावत, मनोज टम्टा आदि अनेक लोग उपस्थित रहे।