भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत पहली व्यापार और निवेश कार्य समूह (टीआईडब्ल्यूजी) की बैठक 28 से 30 मार्च, 2023 तक मुंबई में आयोजित हो रही है। इस तीन दिवसीय बैठक के दौरान, जी20 सदस्य देशों, आमंत्रित देशों, क्षेत्रीय समूहों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 100 से अधिक प्रतिनिधि वैश्विक व्यापार तथा निवेश में तेजी लाने के बारे में विचार-विमर्श करेंगे।
28 मार्च यानी पहले दिन ‘व्यापार वित्त’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ईसीजीसी) और इंडिया एक्जिम बैंक द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
व्यापार वित्त आर्थिक विकास को सहायता प्रदान करता है। यह जटिल लिक्विडिटी से उभरने वाले जोखिमों को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रवाह को बनाए रखने वाला अभिन्न अंग है। समस्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग 80% किसी न किसी प्रकार के व्यापार वित्त साधन का उपयोग करता है। जिसमें साख पत्र, आपूर्ति श्रृंखला वित्तपोषण, इनवॉयस छूट और प्राप्त होने वाला वित्तपोषण शामिल हैं। वैश्विक व्यापार वित्त में बैंकों, व्यापार वित्त कंपनियों, निर्यात ऋण एजेंसियों, बीमाकर्ताओं, आयातकों और निर्यातकों समेत अनेक पार्टियां शामिल हैं। व्यापार वित्त विदेश व्यापार की जीवनदायिनी है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2020 में, प्रमुख वैश्विक बैंकों द्वारा 9 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार वित्त लेनदेन में सहायता प्रदान की गई थी। फिर भी, व्यापार वित्त अंतर लगातार बढ़ रहा है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के अनुमान के अनुसार वर्ष 2018 में यह अंतर 1.5 ट्रिलियन डॉलर था जो अब बढ़कर 2 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। इस प्रकार कार्य-उन्मुख समाधानों के बारे में विचार-विमर्श करना अनिवार्य हो गया है जो इस वित्त अंतर को कम कर सकते हैं और डिजिटल उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग करके इसे सुलभ भी बना देते हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) जो विकासशील और विकसित दोनों देशों में आजीविका को बनाए रखने के साथ-साथ और वैश्विक आर्थिक विकास में भी योगदान देते हैं, व्यापार वित्त अंतर से असामान्य रूप से प्रभावित होते हैं।
इसी पृष्ठभूमि में, इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दो सत्रों का आयोजन किया जाएगा। पहला सत्र व्यापार वित्त अंतर को समाप्त करने में बैंकों, वित्तीय संस्थानों, विकास वित्त संस्थानों और निर्यात ऋण एजेंसियों की भूमिका पर प्रकाश डालेगा और दूसरे सत्र में इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि डिजिटलीकरण और फिनटेक समाधान किस प्रकार व्यापार वित्त तक पहुंच को बेहतर बना सकते हैं।
सत्र 1: व्यापार वित्त अंतर को समाप्त करने में बैंकों, वित्तीय संस्थानों, विकास वित्त संस्थानों और निर्यात ऋण एजेंसियों की भूमिका।
संचालक: सुश्री लता वेंकटेश, कार्यकारी संपादक, सीएनबीसी टीवी 18
पैनल के सदस्य: श्री स्टीवन बेक, व्यापार वित्त प्रमुख, एडीबी, प्रोफेसर एंड्रियास क्लासेन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर और निदेशक, आईएफटीआई, ऑफेनबर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी, श्री गौरव भटनागर, प्रबंध निदेशक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक।
पहले सत्र में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यापार वित्त में मौजूदा रुझानों तथा उनकी भविष्य की संभावनाओं के बारे में व्यापक रूप से विचार किया जाएगा। चर्चा के कुछ प्रमुख बिंदु नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं:
1. विकासशील देशों में महामारी और बढ़ते हुए आयात बिलों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा व्यापार वित्त में मौजूदा रुझान।
2. निजी क्षेत्र में कम क्रेडिट लाइन सहायता और बैंक ऋण सीमा में मुद्रा स्फीति कटौती सहित, व्यापार वित्त अंतराल के कारण।
3. व्यापार वित्त को मजबूत बनाने में निर्यात ऋण एजेंसियों की भूमिका।
सत्र 2: डिजिटलीकरण और फिनटेक समाधानों में तेजी व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार ला सकती है।
संचालक: सुश्री तमन्ना इनामदार, टाइम्स समूह
पैनल के सदस्य: श्री जॉन ड्रमंड, ओईसीडी के सेवा प्रभाग में व्यापार प्रमुख, श्री फरीद अलसाली सऊदी अरब में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और समझौतों के डिप्टी गवर्नर, श्री केतन गायकवाड़, एमडी और सीईओ, रिसीवेबल्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड।
इस सत्र के दौरान, व्यापार वित्त के डिजिटलीकरण के रुझानों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी कि किस प्रकार ये फर्मों, विशेष रूप से एमएसएमई के लिए व्यापार वित्त को सुलभ बनाने के लिए नवाचार और दक्षता में तेजी ला सकते हैं। चर्चा के दौरान वर्तमान और उभरते फिनटेक समाधानों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा जो अनुकूलित ऋण के बारे में निर्णय लेने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। इसके साथ ही एमएसएमई के लिए व्यापार वित्त आपूर्ति भी बढ़ा सकते हैं। कुछ विशेष चर्चाओं में निम्न विषय शामिल होंगे:
1. समग्र रूप से व्यापार इकोसिस्टम को नया रूप देने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का नवाचार करने के लिए कई हितधारकों के साथ काम करके व्यापार वित्त को डिजिटल बनाने की जरूरत।
2. कार्यान्वयन के समय और लागत को कम करने के लिए एमएसएमई के डिजिटलीकरण का दायरा, कम मूल्य या एकल लेनदेन के लिए वित्त की आपूर्ति में नवाचार को बढ़ावा देना क्योंकि उच्च लागत वाली सेवाओं और साइबर सुरक्षा जोखिम शमन रणनीतियों की लागत के कारण प्रमुख बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
3. वित्तीय प्रौद्योगिकियों में नेटवर्क डेटा, रीयल-टाइम भुगतान व्यवहार, सास आधारित प्रौद्योगिकियां और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन जैसे उभरते समाधान।