भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. मालिनी वी शंकर ने कहा कि वैसे तो वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस संस्थान के 70 प्रतिशत विद्यार्थियों को अच्छे रोजगार अवसर मिले हैं।
चेन्नई में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव करके इसे नया रूप दिया गया है और इसके साथ ही यह विश्वविद्यालय अनुसंधान, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं उद्योगों के साथ साझेदारी के जरिए कुशल श्रमबल तैयार कर रहा है।
डॉ. मालिनी शंकर के अनुसार भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय ने रूस, मॉरीशस, नीदरलैंड और फिलीपींस के समुद्री विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, थूथुकुडी वीओसी पोर्ट एवं भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण सहित 10 शीर्ष शिपिंग संस्थानों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं और विद्यार्थियों को संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
‘सागरमाला’ योजना के तहत वीओसी पोर्ट के सहयोग से रसद (लॉजिस्टिक्स) प्रबंधन, नौकायन और निरीक्षण में आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंडमान और निकोबार बंदरगाह को विशेष प्रशिक्षण संस्थान के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
डॉ. मालिनी शंकर ने कहा कि यह विश्वविद्यालय दरअसल चेन्नई, विशाखापत्तनम, कोलकाता, मुंबई पोर्ट और नवी मुंबई स्थित अपने संस्थानों में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
यह कहते हुए कि कोविड महामारी के समय में आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई थी, उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को भविष्य में किसी भी आपदा से निपटने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है।
कुलपति ने कहा कि शिपिंग क्षेत्र में नौकरियों के बारे में अपेक्षाकृत कम जागरूकता है। हालांकि, 95 प्रतिशत वैश्विक रसद के साथ-साथ जहाजों के जरिए ढोए जाने वाले कुल वस्तु मूल्य की दृष्टि से 70 प्रतिशत कार्गो में भी इसका बहुमूल्य योगदान है।
उन्होंने विद्यार्थियों से विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार (प्रभारी) श्री सरवनन और प्राचार्य श्री शिवकोझुंधू भी इस अवसर पर उपस्थित थे।