केन्द्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आपराधिकता, अवैधता और उपयोगकर्ता के नुकसान के लिए एक आवरण नहीं बन सकती है और उन्होंने दोहराया कि मध्यवर्ती संस्थाओं को अपने प्लेटफार्मों पर उपलब्ध कंटेंट के लिए जवाबदेह होना होगा।
इस बात पर जोर देते हुए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता की वेदी पर सुरक्षा एवं भरोसे की बलि नहीं दी जा सकती, राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “दशकों से जिस मॉडल का पालन किया गया था, वह यह था कि मध्यवर्ती संस्थाएं अपने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट के बारे में जवाबदेह नहीं थे और अवैध कंटेंट का पता लगाने से रोकने के लिए गुमनामी को प्रोत्साहित किया। इससे इंटरनेट पर बाल यौन शोषण और अन्य अवैधताओं के प्रसार में मदद मिली।”
केन्द्रीय मंत्री नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत दृष्टिकोण में बदलाव आया है, राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “कोई मध्यवर्ती संस्था यदि भारत में व्यापार करना चाहती है, तो अब वह कंटेंट के मामले में सम्यक तत्परता बरतने के लिए बाध्य है और यदि कोई ऐसा कंटेंट है जो अवैध या सीएसएएम है, तो उसे अदालत का आदेश प्रस्तुत किए जाने पर उसके पहले लेखक के बारे में हमें सूचित करना होगा।”
यह स्पष्ट करते हुए कि सरकार और मध्यवर्ती संस्थाएं किसी भी प्रकार के प्रतिकूल संबंध में नहीं हैं, उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना उनके संयुक्त हित में है कि इंटरनेट सीएसएएम जैसी शोषणकारी कंटेंट से सुरक्षित और विश्वसनीय है।
ऑनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में सीएसएएम कंटेंट का उल्लेख करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “हजारों ऐसे गेम हैं जो गेमिफाइड सीएसएएम हैं – हम आईटी अधिनियम के तहत नए नियम बनाने की प्रक्रिया में हैं जो सीएसएएम को शामिल करने वाले गेम के लिए भारतीय इंटरनेट पर उपलब्ध होना बहुत कठिन बना देगा।”
केन्द्रीय मंत्री ने आगामी डिजिटल इंडिया अधिनियम के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया अधिनियम एक समकालीन कानून होगा और यह इस बात को सुनिश्चित करने के हर आवश्यक उपाय करेगा कि भारत में इंटरनेट हमारे डिजिटल नागरिकों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद हो।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “सिर्फ वयस्कों के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी इंटरनेट सुरक्षित और भरोसेमंद हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत अपनी खुद की योजना तैयार करेगा।”
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा, सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर मनोहर मुले एवं राजीव जैन और महासचिव डी. के. सिंह इस अवसर पर उपस्थित अन्य डोमेन विशेषज्ञों में शामिल थे।