कैसे हो गणपति कीप्राण प्रतिष्ठा कार्यशाला में@ 81 परिवारों ने सीखा प्राण प्रतिष्ठा विधान

मसूरी

मसूरी। आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन, भारत के तत्वावधान में संचालित भगवान शंकर आश्रम मसूरी में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पद्मा एकादशी को उत्तराषाढ नक्षत्र और अति योग में गणपति महोत्सव की समय अवधि में कैसे प्रतिमा को जीवित कर लाभान्वित हो इसके पवित्र और दिव्य अभियान का श्री गणेश किया गया। जिसमें 81 परिवारों के सैकड़ों भक्तों ने अपने अपने स्थानों से आश्रम आकर श्री विग्रह विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करने की विधि सीखी। कार्यशाला के माध्यम से सभी वैदिक और सनातनी मूल्यों की संरक्षा हित सक्रिय धर्म सेवा का व्रत लिया गया।
ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री ने बताया यह कार्यशाला आज से पहले किसी आचार्य ने नहीं की है और सर्वप्रथम यह आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन भारत, मॉरीशस, स्विट्ज़रलैंड एवं श्री शक्ति संधान पीठ के मुख्य अधिष्ठाता परमप्रज्ञ जगतगुरु प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज के द्वारा किया गया है। ट्रस्ट के प्रमुख आर्यम जी महाराज के सानिध्य और दिशा निर्देश में यह कार्यशाला गणेश महापर्व के शुभ दिवसों में संपन्न हुई। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत और विश्व भर में विस्तारित भारतीय वैदिक और सनातनी मूल्यों की सारगर्भित पुनप्र्रतिष्ठा करना है। पूज्य गुरुदेव आर्यम जी ने आज 81 शिष्यों को कैसे एक प्रतिमा को जागृत करें,यह बता कर अपने शिष्यों के जीवन को एक नयी रोशनी दिखाई है। कार्यशाला में श्री विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा जिसमें गणपति को मुख्य रखा है, सिखाया गया। प्रत्येक प्रतिभागी को भगवान श्री गणपति जी की ओनेक्स,जेड अथवा शुद्ध स्फटिक प्रतिमा, चाँदी का श्री गणेश यंत्र, रूह इलायची, खस श्री गणेश जी का आसन ,पुस्तक श्री गणपति सूत्रं दिया गया। आर्यम जी महाराज ने बताया कि अक्सर लोगों को किसी भी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करनी आती है जिससे उन्हें लाभ नहीं मिलता है। इस कार्यशाला में प्राण प्रतिष्ठा की विधि बता कर कैसे प्रतिमा को जागृत कर सकते हैं उसका रहस्य क्या है, देश भर से ही नहीं विदेश से भी भक्तों ने इस दिव्य कार्यशाला में भाग लेकर स्वयं प्रतिष्ठा करना सीखा। आर्यम जी ने स्पष्ट किया वह हर व्यक्ति को स्वयं हर कार्य आना चाहिए, फिर वो धार्मिक ही क्यों ना हो। अक्सर लोग ज्ञान ना होने की वजह से ऐसे ही पूजा प्रार्थना करते रहते हैं, बिना जीवित प्रतिमा के भगवान श्री जी तक प्रार्थना पहुँचने में समय लगता है जिससे विश्वास कम होता है। लेकिन जिन शिष्यों का जीवन आर्यम जी महाराज के सानिध्य एवं दिशा निर्देशानुसार हैं उनके जीवन में आमूल चूल परिवर्तन हो रहा है। अब सभी लोग अपने मूल के विशिष्ट धर्म आधारों को समझने और सीखने के प्रति लालायित हैं। आश्रम द्वारा प्रारंभ की गई विभिन्न योजनाओं में यह भी एक विशिष्ट अभियान है। इसे भविष्य में पूरे भारत और फिर विश्व के अनेक देशों में प्रसारित और प्रभावित कराये जाने का प्रकल्प है। साथ में ही गुरुदेव आर्यम जी महाराज के दिशा निर्देश में तुलसी साहित्य पब्लिकेशन के प्रकाशक निमित जैन ऋतुराज द्वारा ’गणपति सूत्रं’ नाम की पुस्तक प्रकाशित की है। इस पुस्तक में गणपति जी के अचूक लाभ प्राप्ति के पाठ एवं मंत्र उपलब्ध करवाए हैं। पिछले बीस वर्षों में विभिन्न अनुष्ठानों और पुष्पार्चनों के बाद यह अनुभव किया कि शुद्ध रूपेण एवं वांछित मंत्र पाठ ठीक से उपलब्ध नहीं हैं। इस सूत्रं में श्री गकारादि सहस्रनामावलिरू, श्री गणपति अथर्वशीष, संकट नाशन गणेश स्तोत्र, ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र, ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्र, श्री गणेश आरती और गणेश जी के अत्यंत प्रभावशाली मंत्रों को संबुद्ध किया गया है। इस सूत्रम में सभी पाठ एवं स्तोत्र संपूर्ण और परिणामों-उन्मुख हैं। आयोजन को सफल बनाने में माँ यामिनी श्री, हर्षिता आर्यम, करण पम्मीराज, उत्कर्ष सिंह, सुनील आर्य, देवेंद्र, अश्वनी कुमार, प्रतिभा आर्य, मुकेश पटेल, निमित जैन, अंकिता जैन, रवि सिंह, किशोर कुमार आदि का सहयोग रहा।

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