@धरती की बैचेनी को सिर्फ बादल ही समझता है# हिंदी के सुकुमार कवि कुमार विश्वास ने पहाड़ों की रानी मसूरी का लुत्फ लिया

मसूरी

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हिंदी मंच के कवि कुमार विश्वास ने पहाडों की रानी मसूरी का लुत्फ लिया। सपरिवार मसूरी सैर पर आए कवि ने मीडिया से समुचित दूरी बनायी रखी। उन्होंने मालरोड का आनंद लिया। मालरोड पर घूमने के दौरान कैंब्रिज बुक डिपो में किताबों के बीच कुछ समय बिताया।

बतातें चले कि इन दिनों पहाड़ों की रानी मसूरी बादलों की झुरमुट में रिमझिम बारिश से कौतूहल पैदा कर रही है। ऐसे में ंिहदी के श्रेष्ठ मंचीय कवि कवि कुमार विश्वास ने बादलों की बैचेनी के बीच मालरोड की सैर की। कोहरे की घनी चादर के छंटते ही दून घाटीऔर उत्तरी हिमालय की उतुंग श्र्खलांओं के नयनाभिराम सौंदर्य को निहारा।
मालरोड पर घूमने के दौरान पत्रकारों ने उनसे वार्ता करनी चाही लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कहा कि वह निजी दौरे पर मसूरी घूमने आये है। वहीं कैब्रिज बुक डिपों के स्वामी सुनील ने बताया कि कुमार विश्वास पहले भी मसूरी 15 साल पहले आये थे व जब वे आये थे तो तब उस दिन अंग्रेजी लेखक रस्किन बाॅड भी मौजूद थे। जब दुकान में कुर्सी पर बैठने को कहा तो उन्होंने कहा कि इस कुर्सी पर रस्किन बाॅड बैठते हैं मैं नहीं बैठ सकता तो, दुकानदार ने कहा कि यह कुर्सी सभी प्रकाशकों लेखकों के लिए है जिसके बाद वह बैठे व अपने पुरानी यादों को ताजा किया। दुकानदार सुनील ने बताया कि उन्होंने रस्किन बाॅड के स्वस्थ्य व दीर्घायु रहने की कामना की। उन्हांेने दुकान में रखी कमेंटबुक में भी अपनी सुंदर टिप्पणी दर्ज की।

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