मानवाधिकार आयोग को पत्र भेज मसूरी में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की

मसूरी

मसूरी। मसूरी टेªडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को पत्र भेज कर मसूरी में एनजीटी कोर्ट के मसूरी झील के पानी के व्यावसायिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाने पर उपजी पानी की समस्या व होटल उद्योग पर पडने वाले प्रभाव से निजात दिलाने की मांग की है। ताकि मसूरी का पर्यटन प्रभावित न हो।
मसूरी टेªडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने पत्र में अवगत कराया कि मसूरी में 322 पंजीकृत होटल व 245 पंजीकृत होम स्टे हैं, वहीं लगभग 5600 उत्तराखंड जल संसथान के उपभोगता हैं। जिसकेलिए मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और उत्तराखंड जल संसथान, मसूरी के पास सिर्फ 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता है। जिसको वह कनेक्शन द्वारा उपभोगताओं को देते हैं। बाकी 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता मसूरी के आस पास के पानी के प्राकृतिक श्रोतों से निजी पानी के टैंकरों द्वारा होती आई है। मसूरी में पूर्ण रूप से रिहाइशी और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को पानी की आपूर्ति इसी तर्ज पर होती हैं। लेकिन हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, द्वारा निर्देश देते हुए मसूरी में झील के निकट एक प्राकृतिक पानी के श्रोत से पानी लेने पर एकाएक रोक लगा दी गयी है जो मसूरी के उपभोगताओं, रिहायशी और व्यवसायिक सभी के लिए परेशानी में डाल दिया है व उनका कानून के माध्यम से उत्पीड़न किया जा रहा है। ऐसे निर्देश से समस्त मसूरी निवासियों में भय का माहौल है और साथ में पानी न मिलना मानव अधिकार का हनन है। एसोसिएशन ने आयोग से मांग की है कि जल्द से जल्द हस्तक्षेप करके पानी की आर्पूिर्त में आयी रुकावट को दूर करने का प्रयास करें और सभी मसूरी निवासियों को उनका मानव अधिकार जल्द से जल्द दिलाएं। उम्मीद है कि मसूरी के नागरिकों को आयोग उनका मानव अधिकार अवश्य पूर्ण रूप से दिलाएगा। पत्र देने वालों में एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल महामंत्री जगजीत कुकरेजा व कोषाध्यक्ष नागेंद्र उनियाल है।

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