मसूरी
कोविड-19 बीमारी से दो सालों से मसूरी का पर्यटन व्यवसाय चौपट हो गया है। होटल व्यवसायियों से लेकर रिक्शा चालक, पटरी व्यवसायी आम व्यापारी से लेकर कर्मचारी तक की आर्थिक स्थिति बदहाल हो चली है। ऐसे में अब होटल व्यवसायी और व्यापारी सरकार की कोरोना की गाइड लाइन को दरकिनार कर अपनी रोजी-रोटी के लिए सड़क पर उतर आने पर आमादा है। बीते दिन मसूरी व्यापार संघ की और से सांकेतिक धरने से ने इस और इशारा भी कर दिया कि अब व्यापारियों के सब्र का बाँध टूटने लगा है ,
बताते चले कि अब स्थिति इतनी बदतर हो चली है कि कई होटल व्यवसायियों ने व्हटासए गु्रप में ज्यादा सब्र ने करने की सलाह दी है। दरअसल मसूरी की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है। यहां पर करीब 450 के आसपास होटल, मोटल, रिसोर्ट, पेइंट गेस्ट हाउस, होम स्टे और धर्मशालाएं है। जिनमें करीब 8 हजार के आसपास कर्मचारी कार्यरत है। होटलियर्स और उनके परिजनों को लेकर करीब 20 हजार लोग सीधे तौर पर इस व्यवसाय पर टिके है। उनमे पटरी व्यापारी, दुकानदार, फोटोग्राफर, रिक्शा चालक, कुली, हेाटल कर्मी आदि शामिल है। नगर में गिने-चुने ही केंद्र और प्रदेश सरकार के संस्थान है। केंद्र सरकार के संस्थानों में प्रमुख रूप से लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, भारत तिब्बत सीमा पुलिस अकादमी, आईटीएम शामिल है। इसके अलावा नगर में नगरपालिका मसूरी, जल संस्थान, कचहरी, एसडीएम कार्यालय, जल संस्थान, उर्जा निगम, दूर संचार निगम, छावनी परिषद कार्यालय ,सरकारी स्कूलों आदि को मिलाकर बामुश्किल दो से तीन हजार सरकारी कर्मचारी ही कार्यरत होंगे। जिन्हें नियमित रूप से वेतन मिल रहा होगा। गैर संरकारी अथवा निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति भी खास बेहतर नही है। कुछ नामी-गिरामी स्कूलों को छोड़कर अन्य की हालत पतली ही है। ऐसे में मसूरी की कुल आबादी का महज 3 से 5 फीसदी हिस्सा ही सरकारी महकमों से जुड़ा है। जबकि 95 फीसदी आबादी पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है। ऐसे में हर किसी के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। होटल व्यवसायियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके बैंक लोन चुकान और कर्मचारियों के वेतन और संपत्ति के रख-रखाव और बिजली पानी के न्यूनतम बिल चुकाने की भी है। उत्तराखंड होटल एसोसियेशन के अध्यक्ष संदीप संाहनी का मानना है कि मसूरी में अधिकांश लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। ऐसे में पर्यटन गतिविधियां चालू करने में कोई परेशानी नही होनी चाहिए। व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल के नेतृत्व में तो बीते दिन ही नगर के व्यापारियों ने सरकार के सामने अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। अब व्यापारी कोरोनां की की गाइड लाइनों में सरलीकरण कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के पक्ष में खड़े दिख रहे है। सरकार क्या एसओपी जारी करेगी। इस पर कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी। लगता है कि 22 जून के अनलाॅक की प्रक्रिया तेज कर दी जाएगी।