घनीभूत वेदना की अभिव्यक्ति वाला एक गीत है निशंक का

डाॅ0 वीरेंद्र बर्त्वाल, देहरादून इन्सान का स्वभाव है कि वह कष्ट से छुटकारा पाना चाहता है, लेकिन वेदना कभी इतनी घनीभूत हो जाती है कि वह न चाहते हुए भी उसे गीत के रूप में गा देता है। और वेदना की अभिव्यक्ति उसे एक गहरा सूकून देती है। यह मनोवैज्ञानिक सत्य भी है। सुप्रसिद्ध गीतकार, […]

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