मसूरी। गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने मसूरी आकर गोरखा समाज के साथ जनसंपर्क बैठक की। इस मौके पर गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल गुरूंग ने गोरखा समाज को संबोधित करते हुए कहा कि गोरखा समाज का देश की आजादी से लेकर आज तक देश के विकास में योगदान रहा है लेकिन आजतक उन्हें एक पहचान नहीं मिल पायी। इसके लिए वह भारत सरकार से भारत के संविधान के अतंर्गत गोरखा लंैड की मांग कर रहे हैं।
कुलड़ी स्थित एक रेस्टोरेंट के सभागार में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि आज देश को गोरखा जो देश के सभी क्षेत्रों में है उसकी कोई पहचान नहीं है। उन्होंने गोरखा समाज के लोगों का आहवान किया कि वे एकजुट होकर अपनी पहचान के लिए आगे आयें व आगामी 10 व 11 दिसंबर में दिल्ली होने वाली रैली में प्रतिभाग कर गोरखा लैंड का समर्थन करें ताकि वह अपनी पहचान बना सकें। इस मौके पर गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल लोपचन ने कहा कि भारत में 29 प्रांत हैं 8 यूनियन टेरेटरी है जिसमें रहने वाले गोरखा समाज को अपनी पहचान बनाने के लिए आगामी 10 व 11 दिसंबंर को दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठी का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में गोरखाओं की आज तक राष्ट्रीय पहचान नहीं है जिसको लेकर गोरखा समाज एकत्र हो रहा है। व गोष्ठी के माध्यम से देश के राजनैतिक दलों संगठनों के साथ वार्ता की जायेगी ताकि उनको भी राष्ट्रीय पहचान मिल सके। उन्होंने कहा कि नागा के लिए नागालैंड, असमियों के लिए असम, बिहारियों के लिए बिहार पंजाबियों के लिए पंजाब बना है तो गोरखाओं के लिए गोरखा लैंड क्यों नहीं। यह मांग भारत के संविधान के अंतर्गत की जायेगी ताकि उनकी भी नेशनल आइडेंटिटी बन सके। उन्होंने कहा कि आज तक गोरखाओं को नेपाली माना जाता है जबकि हम भारत के गोरखा हैं। इसके लिए ही दिल्ली में गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर व्यापार संघ के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि उनकी मांग जायज है और व्यापार संघ उनकी इस मांग के साथ है ताकि उनकी अपनी पहचान बन सके। इस मौके पर गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव युवामोर्चा नमन राय, केंद्रीय समिति सदस्य मनोज शंकर, दिपेन नरूला, सोनम याखा, सूरज राय, जितेंद्र सरीन, सहित व्यापार संघ के महामंत्री जगजीत कुकरेजा, नागेद्र उनियाल, सलीम अहमद, सलीम, आदि मौजूद रहे।