हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र ने संसद में हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन के मुद्दे को उठाया

उत्तराखंड जन समस्या

नई दिल्ली

हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल में सरकार के समक्ष हिमालयी क्षेत्रों में लगातार होने वाले हिमस्खलन से जानमाल के नुकसान पर चिंता जताते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने पूछा कि सरकार हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली को सुदृढ करने के लिए क्या कोई विशेष कदम उठा रही है। बचाव कार्यों के लिए उन्नत ड्रोन और हेलीकाप्टर जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कोई नई नीति लागू करने पर विचार कर रही है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में अवगत कराया कि केंद्र सरकार हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन के खतरों से सजग है। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर और अरुणांचल प्रदेश जैसे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन बार-बार होने वाली एक प्राकृतिक आपदा है। उन्होंने बताया कि हिमालय के बर्फीले क्षेत्रों में जीवन की सुरक्षा के लिए हिमस्खलन संबंधी सटीक पूर्वानुमानों के लिए कई प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं।
इनमें एआई और एमएल( आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग) आधारित हिमस्खलन पूर्वानुमान। स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) नेटवर्क का विस्तार और बर्फीले क्षेत्रों के लिए सतही आब्जर्वेटरी, हिमस्खलन इंजीनियरिंग नियंत्रण संरचना, हिमस्खलन पूर्व चेतावी रडार, हिमस्खलन संबंधी चेतावनी के प्रचार प्रसार के लिए आनलाइन एप आधारित कामन अलर्ट प्रोटोकाल, लास्ट माइल हेतु सैटेलाइट आधारित संचार का उपयोग करते हुए पूर्वानुमान का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
इसके साथ ही मल्टी स्केल मैटेरियल प्रोपर्टीज सिमुलेशन, प्रक्रिया आधारित 3 डी ढलानों की स्थिरता के लिए स्नोपैक माडलिंग, हिमस्खलन से रक्षा के लिए हल्के भार वाली सुदृढ़ संरचना विकसित करना, तथा इनसार आधारित भूस्खलन चेतावनी प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। उत्तर पश्चिमी हिमालय के बर्फीले क्षेत्रों में सेना और आम लोगों को डीजीआरई द्वारा नियमित तौर पर प्रचालन हिमस्खलन चेतावी जारी की जा रही है। भारत मौसम विभाग इस स्थिति में जागरुकता बढ़ाने के लिए 6-6 घंटे पर मौसम अपडेट करता है। पूर्वानुमान संबंधी क्षमताओं में सुधार के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में स्वाचालित मौसम स्टेशन और रडार स्थापित किए गए हैं।
भू सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान चंडीगढ़ (डीजीआरई) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार भारत में पहली बार उत्तरी सिक्किम में हिमस्खलन मानिटरिंग रडार स्थापित किया गया है। इस प्रणाली से हिमस्खलनों का मात्र तीन सेकंड में पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्व चेतावनी और तैयारी के अलावा सरकार हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचाव आपरेशन के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकों का उपयोग कर रही है। ड्रोन आधारित इंटेलिजेंट बरीड आब्जेक्ट डिटेक्टशन सिस्टम जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग और हेलीकाप्टरों की समय पर तैनाती, आपात स्थितियों में त्वरित कार्रवाई और प्रभावकारी बचाव अभियान में सहायता कर रही है। राज्य और जिला स्तरों पर आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्षों की स्थापना से हिमस्खलन के दौरान बचाव आपरेशन में चौबीस घंटे निगरानी और समन्वय सुनिचित किया गया है।

Spread the love