पाठकों, शुभचिंतको से आग्रहपूर्वक क्षमा कि लगभग 21 दिन तक आपके बीच खबरों को नही परोस पाए मगर बेखबर भी नही, आखिर क्यों जानिए

उत्तराखंड दुनिया देश देहरादून


शूरवीर सिंह भंडारी;
संपादक द हिल्स आॅफ मसूरी
प्रिय पाठकों, शुभचिंतकों और स्नेहीजनों से विनम्र आग्रह
आप तमाम लोग इस वैश्विक महामारी का किसी ने किसी रूप में मुकाबला कर रहे हंै। दुनिया के लाखों लोग आज भी मौत और जिंदगी के बीच जूझ रहे है। कोरोना ने लाखों लोगों की जान ले ली। मृतकों के परिजनो, मित्रजनो और रिश्तेदारों समेत उनसे जुडे हजारों लाखों लोगों को कई तरह के आधात पहुंचाए। मानसिक, शारीरिक, भौतिक, आर्थिक के साथ ही कुछ असहनीय, अकथनीय, अलेखनीय भी। ऐसा ही द हिल्स आॅफ मसूरी न्यूज वेब पोर्टल समेत करीब डेढ़ दर्जन पोर्टल संचालकों के साथ भी कोरोना काल में ही एक ऐसी दर्दनाक और असहनीय घटना घटित हुई। जिसका उल्लेख करना सुधि पाठकों और शुभचिंतको के सामने नितांत आवश्यक समझ पड़ता है। यह सहानुभूति के साथ ही वह पीड़ा है जिसे कोरोना काल में हर कोई आसानी से समझ सकता है। चूंकि हर इंसान इस कालखडं में उसे भोग कर आगे बढ़ने और चरैवेति-चरैवेति का सिद्वांत प्रतिपादित होते और करते जा रहा है।
11 मई की रात को अचानक से मैसेज आया कि सुभाष नही रहा। चूंकि सहसा यकीन नही हुआ सो दून मेडिकल काॅलेज के पीआरओ श्री संदीप राणा जी से संपर्क साधा और जानने की कोशिश की कि सुभाष बिजल्वाण की तबियत कैसी है। तो उनका मैसेज आया कि साॅरी सुभाष की नौ बजकर 25 मिनट पर डेथ हो गई। यह खबर सुनकर स्तब्ध रहा। यूं तो जब से सुभाष आईसीयू बेड था तब से ही उनके भाई से निरंतर स्वास्थ्य की जानकारी ले रहा था। उसके स्वास्थ्य की चिंता हर कोई कर रहा था। उत्तरांचल प्रेस क्लब मिलकर जीतेंगे जंग के माध्यम से भी जो संभव हो सकता था किया। वरिष्ठ साथी पत्रकार जितेन्द्र अंथवाल ने भी यथासंभव मद्द की कोशिश की। उनके प्रति भी आभार। मगर कोरोना ने इस युवा को मात्र 30 वर्ष की आयु में ही दुनिया से विदा कर दिया। कमबख्त कोरोना ने सुभाष के परिवार पर एक और प्रहार कर दिया। एक सप्ताह बाद ही सुभाष के पिता का पुत्र के मौत का धक्का लगने से देहांत हो गया। ऐसे में परिवार को किसी तरह से बड़े भाई विकास ने संभाला। अलबत्ता सुभाष अविवाहित था। एक मिलनसार और शर्मिले मिजाज के सुभाष का चला जाना हम सब के लिए बेहद दुखद था। सुभाष चूंकि द हिल्स आॅफ मसूरी समेत डेढ़ दर्जन से अधिक वेब न्यूज पोर्टल का तकनीकि पक्ष देखता था। इसलिए कई पोर्टलों की हास्टिंग समाप्ति पर थी। वे बंद हो गए। अपडेट न होने से सब को दिक्कतें आयी। कोराना कफर्यू के चलते घर पर भी सांत्वना देने नही पहुंच पाए। पोर्टल की तकनीक रूप से जो दिक्कतें पेश आयी। उसका नतीजा है कि 21 दिन तक आपके बीच खबरों के माध्यम से संवाद कायम नही कर पाए। इसका खेद है। लेकिन यह सब प्रभु की इच्छा पर निर्भर है। बीते दिन ही साथियों ने सुभाष के परिजनों से संपर्क साधा और पासवर्ड आईडी इत्यादि हांसिल कर नए सिरे से पोर्टल का संचालन शुरू किया है। हालांकि इस बीच पूरे पांच साल जो भी पोर्टल में प्रकाशित ऐतिहासिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और अन्य घटनाक्रमों पर आधारित लेख और समाचारों की पूंजी पोर्टल से समाप्त  हो गई। प्रयास करेंगे कि कुछ को पुनः प्रकाशित किया जाए। नए सिरे से पोर्टल आपके सामने है। माना कि हमारे साथ ही आप भी सच्चे हितैषी, सुधि पाठक के तौर पर इस पीड़ा को महसूस करेंगे और इस लंबे अंतराल के लिए क्षमा करेंगे।

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