मसूरी
मसूरी में शमशान घाट के लिए समिति ने पालिका और कैंट से भूमि उपलब्ध कराने की मांग की है ,समिति ने इस बाबत मगलवार को पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता और कैंट बोर्ड को ज्ञापन सौपा , कहा गया की घाट न होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के परिजनों की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए देहरादून या हरिद्वार ले जाना पड़ता है, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बता दे कि नगर में 80 के दशक तक लंढौर लक्ष्मण पुरी क्षेत्र में शमशान घाट था, जिसका संचालन श्री सनातन धर्म मंदिर सभा की ओर से किया जाता था लेकिन अत्यधिक दूर होने के कारण धीरे धीरे लोगों ने यहां अतिंम संस्कार करना छोड़ दिया। क्यों कि वहां जाने के लिए पैदल मार्ग है व इतनी दूर शव को कंधों पर ले जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। गत वर्ष व इस वर्ष कोरोना महामारी में मसूरी में भी कई लोगों ने अपने प्रिय जनों को खोया लेकिन यहंा पर शमशान घाट न होने के कारण उन्हंे देहरादून या हरिद्वार जाना पड़ा। जो कि एक आम गरीब के लिए बहुत कष्ट दायक रहा पहले कोरोना की मार उपर से किसी प्रियजन का चले जाने का गम व उसके बाद आर्थिक तंगी में अंतिम करना एक समस्या बन गया था। इस संबध में शमशान घाट सेवा समिति मसूरी ने इस बात का संज्ञान लिया व इस संबंध में नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता व छावनी परिषद लंढौर के मुख्य अधिशासी अधिकारी को टिहरी बाई पास रोड के नीचे लक्ष्मण पुरी क्षेत्र में शमशान घाट बनाने की मांग को लेकर पत्र दिया गया। क्यो ंकि दोनों की ही भूमि इस क्षेत्र में है। शमशान घाट सेवा समिति के अध्यक्ष डा. हरिमोहन गोयल व संयोजक राकेश अग्रवाल ने पालिका व छावनी परिषद को दिए पत्र में कहा है कि टिहरी बाई पास लक्ष्मण पुरी क्षेत्र में भगवान शिव मूर्ति के आस पास शमशान घाट के लिए जमीन उपलब्ध कराये व वहां पर शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए एक टिन शैड बनवाये। इस संबंध में राकेश अग्रवाल ने जानकारी दी कि पहले का शमशान घाट दूर होने के कारण अब वहां कोई भी अंतिंम संस्कार के लिए नहीं जाता जिस कारण इसका सबसे अधिक प्रभाव गरीबों पर पड़ रहा है जो पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे होते हैं वहीं उपर से अतिम संस्कार का भार पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि अगर नगर पालिका या छावनी परिषद वहां पर शमशान घाट बनाकर दे देती है तो समिति शमशान घाट को चलाने के लिए तैयार है। इस समय कोविड महामारी का दौर चल रहा है व स्वयं जिलाधिकारी ने मसूरी प्रशासन व पालिका से शमशान घाट के बारे में जानकारी ली तो उन्हें पता लगा कि यहां पर कोई शमशान घाट नहीं है जिसका संज्ञान उन्होंने भी लिया है। अगर यहां शमशान घाट बन जाता है तो लोगों को अंतिम संस्कार करने देहरादून या हरिद्वार नहीं जाना पडे़गा। उन्होंने यह भी बताया कि छावनी परिषद के सीईओ अभिषेक राठौर से इस संबंध में फोन पर बात हुई है वह भी इस दिशा में सहयोग करने को तैयार है। वही पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि इस क्षेत्र में पालिका की भूमि पर स्थल तलाशने के लिए कहा गया है, स्थल चयन के बाद शमशान घाट बनाने में पूरा सहयोग किया जायेगा।