मसूरी: पिटन बटर का स्वाद देश भर में लोगों तक पहुचाने वाले पिनट बटर किंग अब इस दुनिया में नहीं रहे। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी जब दून स्कूल में पढ़ते थे तो उनके पीनट बटर के दीवाने थे। मसूरी के राजनैतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं एवं मसूरी टेªडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल सहित शहर वासियों ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त किया व उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सनराइज फूड प्रोडक्ट्स व पीनट बटर के संस्थापक व पीनट बटर मैन आॅफ मसूरी बचन सिंह नेगी करीब 92 वर्ष की उम्र में तथा विगत लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिनट बटर मूूंगफली से बनाया जाने वाला बटर होता है जिसकी तकनीकि उनके पास थी पहले ब्रिटिश काल में वह अंग्रेजों के साथ इस कार्य को करते थे व बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया। पीनट बटर के साथ ही उनकी रोस्टेड मंूगफली का व्यवसाय भी था। उन्होंने कभी इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर नहीं किया अगर वह चाहते तो एक बड़ा अंपायर खड़ा कर सकते थे। लेकिन वह स्वयं उसे बना कर खुद कंधे पर थैले मंे भरकर दुकान दुकान पीनट बटर बेचा करते थे। जिसके स्वाद के लोग कायल थे। बाद में उन्होंने देहरादून सहित देश के विभिन्न हिस्सों में आर्डर पर माल भेजा करते थे। क्यों कि पीनट बटर पहले केवल विदेशी या तिब्बती लोग ही प्रयोग करते थे क्यों कि अन्य को इस बारे में कुछ पता नहीं था। उनके पास कई व्यापारी भी तकनीक जानने आये लेकिन उन्होंने नहीं दी। उनके पिनट बटर पर एक पत्रिका ने भी 2005 में लेख प्रकाशित किया था। व्यापार संघ के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि वह स्वतंत्र भारत के पहले पिनट बटर के निर्माता थे जो सन राइज फूड प्रोडक्टस् नाम से अपना व्यवसाय चलाते थे। पूरे भारत वर्ष में उनका पीनट बटर प्रचलित था। कहा जाता है की ब्रिटिश जब देश आजाद होने के बाद मसूरी छोड़ के गये तो बचन सिंह को पीनट बटर बनाने की विधि व तरीका समझा के गये। बचन सिंह बहुत ही सरल व सीधे सादे व्यक्तित्व के धनी थे। सब से प्यार से बात करते, समान बेचते व उधार भी दे देते, व पीनट बटर बेच के पैसे दे देना कहते थे। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक भारत वर्ष में बहुत कम पीनट बटर के बारे में जानते थे। पिछ्ले कुछ वर्षों में अमूल, ब्रिटैनिया, सनड्रॉप, फंनफूड आदि कंम्पनियों ने विदेश से तकनीकि हासिल कर पीनट बटर बनाने का व्यवसाय शुरु किया पर स्वाद में आज भी बचन सिंह नेगी के पीनट बटर का था उसका जवाब नहीं। मसूरी व्यापार संघ अपने इस व्यवसायी को शत शत नमन करता है। इस संबंध में उनके पुत्र विजय नेगी ने बताया कि ब्रिटिश काल में विंसेट हिल स्कूल अंग्रेजों का था तो पिता जी उनके साथ कार्य करते थे और उन्होंने ही पीनट बटर बनाने की तकनीकि सिखायी थी 1955 में जब अंग्रेज चले गये तो उन्होंने 1972 से अपना पीनट बटर बनाने का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने बताया कि उस समय इसके बारे में कम लोग जानते थे। लेकिन धीरे धीरे यह बाहर भी भेजा जाने लगा लेकिन केवल मांग पर ही भेजा करते थे। उन्होंने बताया कि 2005 में एक पत्रिका ने उनके पिता का इंटरव्यू लिया था व करीब डेढ पेज का लेख प्रकाशित किया था।