कोहरे की सफेद चादर से ढकी पहाडों की रानी मसूरी, सैलानियों से भी अटी पड़ी है पर्यटन नगरी, मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त, कुठालगेट से सैलानियों को लौटाना अव्यवहारिक, प्रदेश की सीमा पर हो सख्ती

उत्तराखंड मसूरी

मसूरी
रविवार सुबह पहाड़ों की रानी मसूरी कोहरे की सफेद चादर से लिपटी दिखी। सैलानियों के लिए यह नजारा बेहद अद्भुत था। होटल के कमरे की खिड़की से बेड टी की साथ पर्यटकों ने इस खुशनुमा नजारे का लुत्फ लिया। अलबत्ता रात से हो रही मूसलाधार बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बारिश के चलते तीन चार दिनों से जिस तेजी से सैलानियों की भीड़ उमडी और दुकान और सड़कों पर पसरी गंदगी को बरसाती पानी अपने साथ साफ करता हुआ चला गया। मगर इससे कई जगह नाले चोक हो गए।
बताते चले कि पर्यटकों से गुलजार पर्यटन नगरी में सैलानियों और स्थानीय लोगों के बीच अजीब-सा द्वंद चल रहा है। कोविड गाइड लाइन के अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस-प्रशासन ने ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया। मगर सैलानी हैं कि मानते नही। नतीजा यह हुआ कि शनिवार रात को निर्धारित समय पर दुकानें बंद करा दी गई। अन्य दिनों पुलिस और प्रशासन इतना सख्त नही दिखाई दे रहा था। पर्यटक स्थलों पर बढ़ती भीड़ के चलते संक्रमण फैलने की चिंता केंद्रीय केबिनेट सचिव हो भी होने लगी। केबिनेट सेक्रेटरी भारत सरकार ने राज्यों का आला अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी सूरत में कोविड गाइड लाइन की अवहेलना नही होनी चाहिए। लेकिन पर्यटक कहां मानने वाले। शनिवार देर रात तक मालरोड़ पर सैलानियों की खूब चहलकदमी देखी गई। प्रशासन के जोर देने और चैकसी के बाद भी सैलानी बिना मास्क लगाए विचरण करते दिखाई दिए। इधर दूसरी और मसूरी में होटल और रेस्तरां खचाखच भरे थे। मालरोड के अधिकांश रेस्तरांआंे में सामाजिक दूरी तो दूर सैलानी एक-दूसरे से चिपक कर खाने में मशगूल थे। इसे देख आम व्यापारियों ने व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल से गुहार लगाई कि जब रेस्तरांओं में खचाखच भीड़ जुटी हैं। ऐसे में दुकानों को कुछ देर तक खुले रखने से क्या होने जा रहा है। सतही तौर पर दुकानदारों का तर्क वाजिब लगता है। दुकानों में रात के समय महज कुछ ही लोग खरीददारी करने आते है। मगर रौनक बनी रहती है। रेस्तरां में खाने के लिए भीड़ जुटना लाजिमी भी है। आखिर जो सैलानी आए है। वे खाना खाने कहां जाए। प्रशासन को राज्य के प्रवेश द्वार पर भी पर्यटक स्थलों की और रूख करने वालों को एक निर्धारित संख्या में प्रवेश करने देना चािहए। या वही पर तमाम औपचारिकता पूरी करने के बाद राज्य में प्रवेश देना चाहिए।
बीते दिन कुठालगेट पर जिस तरह से सैलानियों को रोका गया। वह अत्यंत ही असंवेदनशील और अलोकतां़ित्रक था। जब सैलानी मसूरी के करीब तक पहुंच गया। और उसके बाद उसे लौटाया गया। यह अमानवीय और अव्यवहारिक दृष्टिकोण था। होना यह चाहिए था कि उत्तराखंड की सीमा पर ही रोक दिया जाता तो न भीड़ जुटती और न असंतोष पनपता। राज्य सरकार के आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए यह कदम उठाया। जिसकी न सैलानियों बल्कि कई बुद्विजीवियों ने भत्र्सना की। देखा यह भी गया कि देहरादून से मसूरी आने वालों को भी कुठालगेट में रोका गया।

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