नौकरियों पर पहला अधिकार मूल निवासियों का हो

उत्तराखंड

 

बाहर के लोग कब्जा रहे बेशकीमती जमीन

चमोली जनपद में भी होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली

कर्णप्रयाग

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि सरकारी और प्राइवेट नौकरियों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो रहा है। समूह ग और घ की नौकरियों के साथ ही प्राइवेट नौकरियों में अस्सी प्रतिशत हिस्सेदारी मूल निवासियों की होनी चाहिए। इसके साथ ही कृषि भूमि की बंदरबांट पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द चमोली जनपद के कर्णप्रयाग, गोपेश्वर और गैरसैंण में भी मूल निवास स्वाभिमान महारैली आयोजित की जाएगी।

कर्णप्रयाग में पत्रकारों से वार्ता करते हुए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि 2022 विधानसभा चुनाव पूर्व एक सूची जारी हुई थी, जिससे पता चला कि भाजपा के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बतौर शिक्षा मंत्री अपने कार्यकाल में बिहार के अपने कई करीबियों को नौकरी दी है। 2022 में एम्स ऋषिकेश में राजस्थान के 600 लोगों को नर्सिंग संवर्ग में भर्ती किया गया। 2023 में आई उत्तराखंड नर्सिंग अधिकारी भर्ती में राजस्थान और यूपी मूल के अभ्यर्थियों का चयन हुआ और पैसे की लेन-देन की बात सामने आई। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें समूह ग, घ के पदों पर उत्तराखंड के मूल निवासी युवाओं के बजाय बाहरी राज्यों के लोगों का चयन हुआ है। नौकरियां मिली है। साफ है कि उत्तराखंड में दूसरे प्रदेश के नौकरी माफिया नौकरी पर कब्ज़ा कर रहे हैं। हर तरह की नौकरियों और संसाधनों पर पहला अधिकार मूल निवासियों का होना चाहिए।

मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि देहरादून, ऋषिकेश से लेकर हल्द्वानी में जमीनों पर यूपी, दिल्ली, हरियाणा के भू-माफियाओं का कब्ज़ा हो चुका है और एक आम मूल निवासी के लिए वहां जमीन का एक टुकड़ा खरीदना मुश्किल हो चुका है। अब इन भू-माफियाओं की निगाह पहाड़ की जमीनों पर लग गई है। नैनीताल, केदारनाथ, अल्मोड़ा, चमोली सहित अन्य सभी जनपदों में इन भू-माफियाओं ने धड़ल्ले से जमीन खरीदी हैं। इन्हें रोकने के लिए ना कोई कानून है और ना कोई नियम। भू-माफिया अब ट्रस्ट बनाकर और उसके नाम से जमीन ले रहे हैं।

समिति के कोर मेंबर प्रांजल नौडियाल, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप चौहान, अरविंद चौहान ने कहा कि पहाड़ पर होने वाले रेलवे, सड़क और पुल के निर्माण में पश्चिमी यूपी, हरियाणा और गुजरात के ठेकेदार काम पर लगे हैं और स्थानीय ठेकेदारों को ना काम दिया जा रहा है ना उन्हें ठेके दिए जा रहे हैं। उत्तरकाशी, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली आदि जिलों में स्थानीय पहाड़ी ठेकेदारों में रोष है कि उनको काम-ठेके ही नहीं मिल रहे हैं और सभी सरकारी, हाइवे, रेलवे, पुलों के ठेकों को यूपी, हरियाणा के ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया है।

छात्र संघ अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेगी, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आयुष नेगी, व्यापार संघ से कांति पुजारी, संदीप कुमार ने कहा कि दूसरे प्रदेश के जमीन, नौकरी और ठेकेदारी माफिया उत्तराखंड में हावी है। दूसरे प्रदेश के लोगों ने स्थाई निवास प्रमाण बनाकर उत्तराखंड में स्थानीय लोगों की नौकरियां, जमीनें और ठेकेदारी के काम को क़ब्ज़ाना शुरू कर दिया है और हमारे युवा और स्थानीय लोग बेरोजगार हो रहे हैं। बहुत जरुरी हो गया है कि प्रदेश में मूल-निवास 1950 लागू किया जाय, नहीं तो पूरा उत्तराखंड दूसरे प्रदेश के माफियाओं के हाथ बिक जायेगा।

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