अप्रैल माह में होगा नेचर फेस्टिवल@ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मसूरी वन प्रभाग ने कार्यशाला आयोजित की

उत्तराखंड मसूरी

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आजीविका सवंर्धन एबं संरक्षण हेतु मूसरी वन प्रभाग के तत्वाधान में बंगसील देवलसारी रेंज में कैट योजना के अंतर्गत ट्राउट फिश उत्पादन को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसका उददेश्य ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ना है।
देवलसारी में आयोजित कार्यशाला में कैट प्लान के कोडिनेटर राजेश कुमार डीएफओ मसूरी कहकशां नसीम, रेंज अधिकारी आलोकि ने ग्रामीणों को जानकारी देते हुए बताया कि स्वरोजगार से जुड़ने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में ट्राउड फिश एक बहुयामी योजना है। जिसका उत्पादन लोग अपने घर बैठे ही कर सकते है। उन्होंने बताया कि यह मछली 14 से 20 डिग्री के तापमान में बेहतर तरीके से पनप सकती है जिसके लिए उत्पादकों को ज्यादा मेहनत की जरूरत नही है। वही कार्यशाला में ग्रामीणों को जैविक कृषि, ब्राह्मी कम्पोस्ट, हर्बल, सुंगधित पौधों, फल सब्जी एवं अनाज भंडारण, पशुपालन सम्बधित कई प्रकार की जानकारी दी गई। कार्यशाला के उपरांत मसूरी वन प्रभाग की डीएफओ कहकशां नसीम मसूरी ने स्थानीय लोगों को आश्वत किया कि सुंदर पर्यटक स्थल बंगसील देवलसारी के विकास के लिए स्थानीय लोगों का साथ जरूरी है। उन्होंने कहा कि देवलसारी की रमणीकता अन्य पर्यटक स्थलों से एक दम भिन्न है। जहां एक तरफ मनमोहक नैसर्गिक छटा है वहीं दूसरी ओर कोनेश्वर महादेव का पौराणिक मन्दिर आस्था का केंद्र भी है। उन्होंने बताया कि देवलसारी इको पार्क की बेहतरी के लिए शासन को कई प्रस्ताव भेजे गये है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही काम शुरू किया जायेगा। इस मौके पर सेवानिर्वित आईएफएस विनोद कुमार रंजन, ग्राम प्रधान जयदेव गौड़, कमलकिशोर नॉटियाल, राकेश कुमार, बन दरोग़ा शूरबीर सिंह तोमर , सुरेंद्र गौड़, हरपाल सिंह रावत, बिरेन्द्र गौड़, वन सरपंच राजेन्द्र कोहली, चंदरसिंह रावत, प्रेम सिंह राणा, जगमोहन, बिक्रम सिंह परमार, बचन सिंह रावत, रामप्रकाश नौटियाल सुमित राणा सहित बड़ी संख्या में वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
मसूरी वन प्रभाग की डीएफओ कहकशां नसीम ने बंगसील देवलसारी में पर्यटन के बढावा देने के लिये अप्रैल माह में एक नेचर फेस्टिवल का भी आयोजन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है तथा यहां पर नेचर फेस्टिवल प्रकृति प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करेगा साथ ही ग्रामीणों को भी इसका लाभ मिलेगा। इसके माध्यम से पर्यटक यहां की जैविक विविधता को समझ सकेंगे वहीं ग्रामीण भी अपने क्षेत्र की जैविक विविधता के बारे में जान सकेंगे।

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