आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल की दरकार-SDC foundation

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून

*एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की मार्च 2023 की उत्तराखंड उदास रिपोर्ट*

*राज्य में लगातार भूकंप के झटके*

देहरादून

देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम मे एसडीसी ने अपनी अब तक की छटवीं और इस वर्ष की तीसरी, मार्च 2023 की रिपोर्ट जारी की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है। यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संग्रहित करने का प्रयास है। रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।

*मार्च 2023 उदास की रिपोर्ट*

वर्ष के तीसरे महीने में राज्य में कोई आपदा या बड़ी सड़क दुर्घटना न होना राहत की बात रही है। हालांकि कई दिनों तक मौसम खराब रहने, बारिश और बिजली चमकने की घटनाओं के बीच बिजली गिरने से 350 बकरियों की मौत की घटना हुई। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य मे लगातार भूकंप के झटके महसूस होते रहे।

*जोशीमठ में पहले से कम धंसाव*

जनवरी और फरवरी की तुलना में मार्च में जोशीमठ में भूधांव और दरारें पड़ने का सिलसिला कुछ कम रहा। प्रभावितों के लिए मुआवजा अब यहां बड़ा मुद्दा बन गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 28 मार्च, 2023 तक कुल राहत राशि केवल 10 प्रतिशत प्रभावितों को वितरित किया गया था। 45 करोड़ रुपये में से अब तक 8.3 करोड़ रुपये वितरित किये गये हैं। प्रभावित परिवार भी आवश्यक मदद प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। राहत राशि में हो रही देरी के अलावा यहां प्रभावितों के लिए प्री फेब्रिकेटेड घर बनाने का काम भी सुस्त चाल से चल रहा है।

*ऑल वेदर रोड निर्माण*

जोशीमठ में भूधंसाव बढ़ने के बाद चमोली जिला प्रशासन ने हेलंग-मारवाड़ी बाइपास और जोशीमठ में ऑलवेदर रोड का काम जनवरी 2023 में बंद कर दिया था। यह काम अब तक अटका हुआ है। अधिकारी अब आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद ही निर्माण कार्य फिर से शुरू किया जाएगा।

भूकंप के झटके

राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किये गये। लगभग हर चौथे दिन कहीं न कहीं भूकंप दर्ज किया जा रहा है। जनवरी में 2.0 से 3.8 तीव्रता तक के चार भूकंप के झटके राज्य के अलग-अलग हिस्सों में आये। फरवरी में 2.5 तीव्रता के तीन झटके आये। मार्च के महीने में 2 मार्च को पौड़ी में 2.4 तीव्रता, इसी दिन 2.6 तीव्रता का भूकंप बागेश्वर में दर्ज किया गया। 5 मार्च को उत्तरकाशी में तीन झटके आये। एक की तीव्रता 2.5 और दो की तीव्रता 2 से कम थी। 6 मार्च और 8 मार्च को पिथौरागढ़ में 2.2 और 2.1 तीव्रता, 13 मार्च को चमोली में 2.1 तीव्रता, 15 मार्च को उत्तरकाशी में 2.3 तीव्रता, 16 मार्च को नैनीताल में 2.1 तीव्रता और 19 मार्च को रुद्रप्रयाग में 2.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।

*बिजली गिरने से 350 बकरियों की मौत*

25 मार्च 2023 को उत्तरकाशी में डूंडा ब्लॉक के खट्टूखाल के पास मथनाऊ टोक के जंगल में बिजली गिरने से करीब 350 बकरियों की मौत हो गई। गर्मी शुरू होने के साथ ही इस क्षेत्र में पशुपालक अपनी बकरियां ऊंचाई वाले क्षे़त्रों में ले जाते हैं। 25 मार्च को ग्रामीण राम भगत सिंह, प्रथम सिंह और संजीव रावत अपनी करीब 1200 बकरियों के साथ जंगल में थे, जब यह घटना हुई।

*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*

अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल

उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।

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