मसूरी
मलेशियन इंडियन सैफ एसोसिएशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रिक्की नारायणन को मसूरी की लेखिका स्मृति हरि एवं आशु जैन ने अपनी गढवाली खाने पर लिखी पुस्तक द हैवनली एबोड भेंट की। इस मौके पर सैफ रिक्की ने कहा कि गढवाली खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है तथा वह इस पुस्तक के माध्यम से पूरे विश्व में गढवाली खाने के बारे में जानकारी देंगे व उसे परोसने का कार्य करेंगे।
मालरोड स्थित कैब्रिंज बुक डिपो में आयोजित एक सादे कार्यक्रम में स्मृति हरि व आशु जैन ने मलेशिन इंडियन सैफ एसोसिएशन के अध्यक्ष रिक्की नारायणन को गढवाली खाने पर अंग्रेजी भाषा में लिखी पुस्तक द हैवनली एबोड भेंट की। इस पुस्तक में पहाड़ी व्यंजनों की रेसिपी व उसका स्वास्थ्य में योगदान के साथ ही यहां के व्यंजनों को विदेशों में भी पहचान दिलाने के लिए भेंट की। इस मौके पर लेखिका का स्मृति हरि ने बताया कि पहाड़ी व्यंजन को देश-विदेश में पहचान दिलाना उनका मकसद है और इसी को लेकर आज उन्होंने मलेशिया से आए विक्की नारायण का यह पुस्तक दी गई। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक का मलेशिया की भाषा में अनुवाद किया जाएगा ताकि वहां के लोगों को आसानी से इन व्यंजनों की खूबियां पता लग सके। इस मौके पर मलेशिया से आए शैफ रिक्की नारायण ने बताया कि इस किताब में पहाड़ी व्यंजनों को बनाने की रेसिपी दी गई है साथ ही इसके खाने से स्वास्थ्य को मिलने वाले लाभ के बारे में भी बताया गया है। जिसे वे मलेशिया ले जाकर इसका प्रचार प्रसार करेंगे और इस सेहतमंद भोजन से अपने यहां के लोगों को भी परिचित करवाएंगे उन्होंने कहा कि मलेशिया भी पहाड़ियों का देश है और यहां पर भी उत्तराखंड की पहाड़ियों की तरह ऊंचे ऊंचे पहाड़ है और वहां के लोग ही इस भोजन को काफी पसंद करेंगे। इसकी खास बात यह है कि इसमें ऐसी कोई रेसिपी नहीं है जो कि बाहर से उपयोग की जाय। जो उत्पाद है उससे ही इसे बनाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि वह इस पुस्तक का मलेशियन भाषा के ट्रांसलेशन करेंगे वहीं गढवाल के खाने को विश्व स्तर पर प्रचारित प्रसारित किया जायेगा व जिस होटल में वह कार्य करते हैं वहां पर यहां के भोजन को परोसेंगे। मालूम हो कि सैफ रिक्की विदेशों के कई बड़े होटलों में सेवा दे चुके है और अब अपने देश में सेवा दे रहे हैं। उनका नाम मलेशिन बुक आॅफ रिकार्ड में दर्ज है। इस मौके पर सुनील अरोड़ा सहित अन्य मलेशियन सैफ भी मौजूद रहे।