देहरादून/मसूरी
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट पूरी तरह एक्शन मोड में है।शपथ लेने के साथ ही श्री भट्ट ने प्रदेशभर में अपने कार्यक्रम लगवाकर लोगों को सूचना के अधिकार अधिनियम की जानकारी देने का संकल्प लिया है।
एक भेंट वार्ता में श्री भट्ट ने कहा कि मकसद अपीलार्थी को उचित जानकारी मुहैया कराने के साथ ही एक कस्टोडियन की भूमिका में भी है। जानकारी के मुताबिक वे अभी तक दर्जनों मामलों का निस्तारण कर चुके हैं। काम के प्रति बफादार और कुछ नया करने की चाहत रखने के चलते ही वे हर जिले में कोर्ट लगा रहे हैं। हर दिन एक दर्जन अपील पर सुनवाई कर रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत अपीलार्थी को सूचना नहीं देने पर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के कुल 9 लोक सूचना अधिकारियों पर 50 हजार का अर्थदंड लगाया है। उन्होंने अपने आदेश में प्राधिकरण पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वहां सूचना के अधिकार को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
सूचना का अधिकार भवन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार दो मामलों में एम डी डी ए के लोक सूचना अधिकारियों एवं सहायक लोक सूचना अधिकारियों पर जुर्माना आरोपित किया गया है। आरोप है कि इन मामलों में अपीलार्थी को सूचना देने में देर की जाती रही। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में लोक सूचना अधिकारियों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद सूचना देने में लेटलतीफी की जाती रही।
एमडीडीए के 9 लोक सूचना अधिकारियों पर 50000/- (रुपये पचास हज़ार)
समय पर सूचना उपलब्ध न कराए जाने पर राज्य सूचना आयोग ने एम. डी. डी. ए. के. 9 लोक सूचना अधिकारियों पर 50000/- का अर्थदंड लगाया है। आयोग ने प्राधिकरण में सूचना का अधिकार अधिनियम के प्राप्त अनुरोध पत्रों पर सूचना उपलब्ध कराने कि पारदर्शी जवाबदेह व्यवस्था न होने पर कड़ी नराजगी जताई। प्राधिकरण में लोक सूचना अधिकारियों कि बड़ी फौज खड़े करने पर भी सवाल उठाये। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पारदर्शी जवाबदेह व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए। राज्य सूचना आयुक्त ने एम.डी.डी.ए. के अभियंताओं पर यह अर्थदंड दो अपीलों को निस्तारित करते हुए लगाया। दोनों ही प्रकरणों में अनुरोधकर्ताओं को तकरीबन डेढ वर्ष तक प्राधिकरण द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं कराई गयी थी। आयोग के नोटिस जारी होने के बाद प्रधिकरण द्वारा सूचना दी गयी। एक अपील में अपीलकर्ता द्वारा टिहरी विस्थापित टिहरी नगर देहरादून के स्वीकृत मानचित्र एवं बिना मानचित्र स्वीकृत कराए बने भवनों के संबध में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत जानकारी मांगी गई थी। प्राधिकरण द्वारा लगभग डेढ़ वर्ष तक सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। आयोग के सुनवाई हेतु नोटिस के बाद प्राधिकरण ने सूचना उपलब्ध कराई लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि लोक सूचना अधिकारी कौन था। राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने नोटिस, जारी कर अनुरोध पत्र प्राप्ति से सूचना दिए जाने के भीतर समस्त लोक सूचना अधिकारियों की सूची तैयार कर स्पष्टीकरण मांगा सुनवाई में स्पष्टीकरण दिया गया। जिस पर आयोग संतुष्ट नहीं हुआ एक भी लोक सूचना अधिकारी का जवाब सन्तोषजनक नहीं पाया गया सभी लोक सूचना अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में नवनियुक्त आयुक्त भट्ट प्रदेश के नगर निकाय, पालिकाओं का औचक निरीक्षण कर सकते हैं।