देश के लिए तीन युद्ध लड़ने वाले सूबेदार हेम चंद रमोला का निधन

उत्तराखंड

 

देहरादून
देश की रक्षा के लिए तीन युद्ध लड़ने वाले सूबेदार हेमचंद रमोला के निधन से चिन्यालीसौड़ और गंगा घाटी शोक में है।

सूबेदार रमोला 1960 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हो गए थे , तुरंत ही 1962 में भारत और चीन का युद्ध घोषित हो गया उसमें रमोला ने देश के लिए लड़ाई लड़ी। उसके उपरांत 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई। वह गढ़वाल राइफल की 3, 10, 13, 14 , 16 टुकड़ी का हिस्सा रहे।

1988 में वह सेवानिवृत्त हो गए थे। उसके बाद उन्होंने क्षेत्र के सामाजिक कार्यों में हिस्सा लिया और लोगों के सुख-दुख में साथ रहे। वह दिचली, गमरी, बिष्ट पट्टी के तीन पीढ़ी के लोगों को नाम से जानते थे।

उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के
दिचली पट्टी के सर्प और मुंडरासेरा गांव के निवासी सूबेदार रमोला जी ने आज दोपहर को उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय में 87 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
उनके पिता का नाम श्याम चंद रमोला था। वह मूल रूप से सिलारी गांव के थे वहां से सर्प गांव में बस गए थे। श्याम चंद रमोला 25 साल तक गांव के प्रधान रहे।

उनकी चिन्यालीसौड़ में मौजूदगी खुशनुमा बना देती थी। वह व्यवहार कुशल इंसान थे। उनके न रहने से उस घाटी में इसका अभाव दिखाई देगा। उनके निधन का समाचार मिलते ही समूची गंगा घाटी और उत्तरकाशी में शोक में डूब गई। उनके निधन पर समाजसेवी और वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं, लोकेंद्र बिष्ट, पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, आलेंद्र सिंह बिष्ट, रागेंद्र बिष्ट, मनोज परमार, धीरविक्रम बिष्ट,शूरवीर भंडारी, शभुप्रसाद नौटियाल, श्याम चंद, रवि उनियाल, , पीताम्बर पोखरियाल, विजय रमोला ने गहरी संवेदना व्यक्त की।

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