मसूरी। शिफन कोर्ट से हटाये गये मजूदरों को तीन साल बीतने पर भी विस्थापित नहीं किया गया , उत्तराखंड क्रांति दल ने समर्थन किया व चेतावनी दी कि जब तक उनको पचास गज जमीन व मकान बना कर नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
शहीद स्थल पर सिफन कोर्ट के बेघरों के साथ उक्रांद के नेताओं ने बैठक की जिसमें उक्रांद के केंद्रीय प्रवक्ता शांति प्रसाद भटट ने कहा कि सिफन कोर्ट के लोगों ने बताया कि उनकी अनदेखी हो रही है। उन्होंने कहा कि जब तकि सिफन कोर्ट के बेघरों को पचास गज जमीन या मकान बनाकर नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उक्रांद का साफ कहना है कि जब से तराजू वाली मानसिकता वाली भाजपा की सरकार बैठी है जो ये उत्तराखंडियत को खत्म कर बडे उद्योगपतियों को सरकारी जमीनों में बैठाकर उत्तराखंड के अंदर सिर्फ पैसा कमाने की मानसिकता से कार्य कर रही है जिसका परिणाम सिफन कोर्ट है जहां तीन साल से बेघरों को अभी तक विस्थापित नहीं किया गया। सरकार सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहाकि इस बात को समझने की जरूरत है कि मसूरी आंदोलन की धरती है यहां से राज्य आंदोलन चला लोगों ने शहादतें दी है वहीं शहीद स्थल पर आलीशान होटल बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो राज्य आंदोलन को मुंह चिढाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अभी भी नहीं समझे तो मसूरी जोशीमठ बन जायेगा, इसी तरह दरकने लगेगा क्योंकि इनको हर जगह पैसा दिख रहा है। सिफन कोर्ट समिति के महासचिव संजय टम्टा ने कहा कि गरीबों की पीड़ा को किसी ने नहीं समझा तीन साल से छल किया जा रहा है और आज उक्रांद ने समर्थन दिया है उन्होंने पीड़ा को समझा। उन्होंने कहा कि अभी तक सिफन कोर्ट में एक भी पत्थर नहीं लगा न यहां के लोगों को विस्थापित किया गया न हीं वहा पर रोपवे बनी। मांग है कि सरकार शिफन कोर्ट को वापस मजदूरों को दे दे। लेकिन घर देने के नाम पर आपस में तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जानवरों का जीवन जीने कों मजबूर है। मजदूर अपने को ठगा महसूस कर रहे है। इस मौके पर उकं्राद की केंद्रीय महामंत्री मीनाक्षी घिल्डियाल ने कहा कि उकंा्रद की लड़ाई मूल निवासियों की लड़ाई है, जब से सिफन कोर्ट से मजदूरों को बेघर किया गया तब से उक्रांद उनके साथ है क्षेत्रीय दल होने के नाते क्षेत्र के लोगों के साथ खडे है। व एक मार्च से होने वाले आंदोलन में पूरा सहयोग करेंगे।
इस मौके पर प्रदीप भंडारी ने कहा कि जब तक सिफन कोर्ट के बेघरों को न्याय नहीं मिलेगा तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। आश्चर्य की बात है कि जिस रोपवे के लिए भारी पुलिस बल बुलाकर गरीबों को बंेघर किया गया वहां तीन साल पूरे होने पर भी कुछ नहीं किया गया जिससे लगता है कि साजिश के तहत मजदूरों को बेघर किया गया। इस मौके पर बलबीर चैहान, दिनेश उनियाल, संपत लाल, सुमित्रा कंडारी, गीता देवी, लक्ष्मी देवी, बिंदी लाल, सुनील कुमार, विनोद शाह, अजय कुमार, विनोद टम्टा, राजामोहन, दयाल सिंह, भुपेंद्र कैंतुरा, आदि मौजूद रहे।