मसूरी
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मसूरी गोलीकांड 2 सितंबर 1994 की घटना के बाद 15 सितंबर को मसूरी कूच के दौरान बाटाघाट कांड की बरसी पर बाटाघाट में गोष्ठी कर पुरानी यादों को ताजा किया गया। गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने बाटाघाट कांड से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। साथ जौनपुर से आए 27 साल पहले की घटना के प्रत्यक्षदर्शी राज्य आंदोलनकारियों ने भी अपनी यादें और संस्मरण सुनाए। 15 सितंबर की घटना का जिक्र आते ही पुलिस की बरर्बता की याद ताजा हो गई। इस कांड में मसूरी कूच कर रहे आंदोलनकारियों को पुलिस ने घेर कर लाठी चार्ज किया। जिसके कारण कई लोग घायल हुए व कुछ को खाई में फेंका दिया गया था।
मसूरी कूच के दौरान मसूरी में एक बार फिर अघोषित कफर्यू लगा दिया गया था व सारी सीमाएं सील कर दी गई थी। उसके बाद भी हजारों आंदोलनकारी मसूरी कूच करने आये। मसूरी गोली कांड के विरोध व शहीदों को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में मसूरी कूच के दौरान टिहरी उत्तरकाशी देहरादून आदि क्षेत्रों से लोग मसूरी की ओर कूच करने लगे इसी दौरान उत्तरकाशी टिहरी जिले से भी भारी संख्या में लोग मसूरी आ रहे थे। बाटाघाट के निकट मसूरी आने वाले राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस द्वारा रोक दिया गया और उन पर लाठियां बरसाई गई लोगों को गहरी खाई में फेंक दिया गया जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए थे और कई लोग घायल होने के बाद शहीद हो गए थे। इसी को लेकर बाटाघाट कांड की 27 वी बरसी पर बाटाघाट में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने उस दौरान हुए घटनाक्रम के बारे में विस्तार से अपनी यादें साझा की। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में आयोजित गोष्ठी मे बतौर मुख्य अतिथि धनोल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान वे सैकड़ों लोगों के साथ मसूरी आ रहे थे इसी दौरान पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार कर बेकसूर निहत्थे लोगों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी और कई लोगों को गहरी खाई में फेंक दिया। उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया उन्होंने कहा कि आज भी वह उन दिन याद कर सिहर जाते हैं। उन्होंने कहा कि बाटाघाट में स्मारक बनवाने के लिए वे मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे और शीघ्र शहीदों को के सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर पूर्व सभासद बीना पंवार ने कहा कि बाटाघाट पर तत्कालीन सरकार की दमनकारी नीतियां उजागर हुई कहा कि शहीद स्थल पर राज्य आंदोलनकारियों के इतिहास को अंकित किया जाना चाहिए और इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। इस अवसर पर समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी ने कहा कि राज्य सरकार को यहां पर कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए था लेकिन किसी भी सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारियों की सुध नहीं ली गई है और आज चिन्ही करण की मांग को लेकर भी राज्य आंदोलनकारियों में खासा आक्रोश है। उन्होंने मांग की कि बाटाघाट पर भव्य शहीद स्मारक स्थापित किया जाना चाहिए। क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी पर आरोप लगाते हुए कहा कि 27 साल के दौरान शहीदों के सपनों को साकार करने को लेकर उनके द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया है और आज आंदोलनकारी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इस मौके पर राज्य आंदोलनकारी महिपाल सिंह पंवार, सोमवारी लाल नौटियाल, संजय सेमवाल, कमल भंडारी, पूरण जुयाल, आरपी बडोनी, कमलेश भंडारी, जबर सिंह बत्र्वाल, श्रीपति कंडारी, नरेंद्र पडियार, सुधांशु रावत, प्रवीण पंवार, शूरवीर भंडारी, सोबन सिंह पंवार सहित बड़ी संख्या में आदंोलनकारी मौजूद रहे।