जब बच्चे पहुंच गए स्कूल तब मिले डीएम के आदेश, आखिर ऐसे आदेश का क्या फायदा

उत्तराखंड देहरादून मसूरी

देहरादून/मसूरी
मौसम विभाग ने बीते दिन ही भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया था। और खासकर मसूरी में 28 अगस्त दिनभर बारिश चलती रही। पूरी रात बारिश हुई। इसके बाद भी प्रशासन को नही दिखाई दिया। जब सोमवार तड़के राजपुर काठबंगला में तीन लोग दबकर मर गए। तब जाकर प्रशासन की आंख खुली और डीएम सोनिका ने मसूरी के शिक्षा अधिकारी को जारी मौखिक आदेश जारी कर कहा कि बच्चों को स्कूल से अभिभावकों के संग सुरक्षित घर भेज दिया जाए। इस किस्म के आदेश के क्या मायने निकाले जाए। जब बच्चे स्कूल पहुंच ही जाएंगे तो तब स्कूल की छत के नीचे उनकी देखरेख के लिए स्वाभाविक तौर पर शिक्षक-शिक्षिकाएं और स्टाॅफ उपलब्ध रहता है। ऐसे में बच्चों की फजीहत के अलावा इस आदेश के दूसरे क्या मायने निकाले जा सकते है। अधिकारियों की अदूरदर्शिता के चलते यह सब हो रहा है। इस बावत वी लव ग्रुप के में व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल समेत नगर के प्रबु़द्वजनों ने इस बावत तीखी टिप्पणी की कि यदि बच्चों को घर ही भेजना था तो स्कूल भेजने की जरूरत ही क्या था। ऐसे आदेश को लेकर नगर में अभिभावकों को खासा आक्रोश है। ऐसे आदेश आखिरी वक्त पर नही किए जाने चाहिए। डीएम के पास कंट्रोल रूम से सभी जानकारियां मौजूद रहती हैं। खासकर आपदा कंट्रोल रूम से मौसम के मिजाज को लेकर हर समय एक-एक घंटे के अंतराल के आॅकड़े पेश किए जाते है। मसूरी में सवा आठ बजे के बाद मौसम पूरी तरह साफ हो गया। और बारिश भी कमोवेश बंद हो गई। अब ऐसे आदेश का क्या फायदा। और अब अभिभावक अपने नौनिहालों की इंतज़ार में स्कूलों के गेट के बाहर स्कूल प्रमुखों के आदेश पर टकटकी लगाए हुए हैं। निरीह अभिभावक दो पाटों में फँस गया।

 

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