मसूरी
रिट्ज सिनेमा मसूरी में मैरै गांव की बाट फिल्म का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष मीता सिंह, नगर पालिका मसूरी के पूर्व अध्यक्ष ओपी उनियाल एवं रजत अग्रवाल ने संयुक्त रूप से शुभारंभ किया।
इस मौके पर मसूरी और आसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में फिल्म देखने पहुंचे। यह फिल्म शुद्ध रूप से जौनसार बाबर के रीति रिवाज परंपरा रहन-सहन खान विवाह पद्धति और महिलाओ के सम्मान पर आधारित है।
इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष मीता सिंह ने कहा है कि यह फिल्म पहाड़ के संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा है कि यह फिल्म जौनसार बावर के लोक कलाकारों द्वारा जौनसारी बोली भाषा में तैयार की गई है जो आकर्षण का विषय है।
फिल्म के उद्घाटन समारोह के अवसर पर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष ओपी उनियाल, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रजत अग्रवाल, मीरा सकलानी, राजेश नौटियाल, अनीता धनाइ, महासचिव उत्तराखंड फिल्म संगठन राजेंद्र सिंह रावत, अनिल गोदियाल, राकेश रावत, फिल्म के प्रोड्यूसर आयुष गोयल, अनिल तोमर, भारत चौहान, शक्ति बडथवाल, प्रीतम चौहान, गजेंद्र सिंह नेगी प्रवीण वर्मा, सीमा वर्मा, मंती वर्मा, पूजा वर्मा आदि सहित अनेक लोगों उपस्थित थे।
मैरै गांव की बाट फिल्म ने जौनसार की संस्कृति और पहाड़ के सरोकारों का फिल्मांकन कर जीवंत किया
हाल ही में रिलीज हुई जौनसारी फिल्म “मेरे गांव की बाट” ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। यह फिल्म जौनसार क्षेत्र की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को बहुत ही सुंदर और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है।
फिल्म की कहानी जौनसार क्षेत्र के एक छोटे से गाँव में स्थित है, जहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को बहुत ही महत्व देते हैं। फिल्म में जौनसारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया है, जैसे कि जौनसारी पोशाक, संगीत, नृत्य और भोजन।
फिल्म के कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। उनके अभिनय में जौनसारी संस्कृति की गहराई और भावना को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
फिल्म का निर्देशन और संगीत भी बहुत ही अच्छा है। फिल्म के निर्देशक ने जौनसारी संस्कृति को बहुत ही सुंदर और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है, जबकि संगीतकार ने जौनसारी संगीत को बहुत ही सुंदर और मधुर तरीके से प्रस्तुत किया है।
इसलिए, मैं इस फिल्म को पूरे 5 स्टार दूंगा और दर्शकों से अनुरोध करूंगा कि इस शानदार फिल्म को वह मोबाइल पर ना देखें, बल्कि फिल्म को देखने के लिए पिक्चर हॉल में जाएं। पिक्चर हॉल में इस फिल्म को देखने से आपको जौनसारी संस्कृति की गहराई और भावना को और भी अच्छी तरह से समझने का मौका मिलेगा।
इस फिल्म को देखने के बाद, आप जौनसारी संस्कृति के प्रति और भी अधिक सम्मान और प्रेम महसूस करेंगे। इसलिए, इस फिल्म को देखना एक अनुभव होगा जिसे आप कभी नहीं भूलेंगे।