जय जय बोलो उत्तराखंड, माननीयों के आचरण से उत्तराखंड हो गया झंड: युवा कवि दीपक कैन्तुरा की कविता
जय जय बोलो उत्तराखंड जय जय बोलो उत्तराखंड
माननीय को गैरसैंण में में लगती है बल ठंड
सदन में ऐसा आचरण की उत्तराखंड देखकर हो गया झंड
ऐसे में कैसे बनेगा इस दशक का उत्तराखंड
माननीयों को गैरसैंण में लगती ठंड
हम पहाड़ियों को मत समझो मंत्री जी ना लायक
जिनको तुमने साले बोला उन्होंने बनाया मंत्री विधायक
वैसे हम पहाड़ी भोले होते हैं
टूट पड़े तो अंगारे और शोले होते हैं
पहाड़ मैदान में मंत्री जी हमको मत बांटो
हेड मास्टरनी जी इनको सदन खूब डांटो
संविधान के मंदिर में हमको जातीवाद क्षेत्रवाद में मत बांटो
हेडमास्टरीनी जी इन अनुशासनहिनता वाले छात्रों को खूब डांटो
पवित्र देवभूमि को जातिवाद क्षेत्रवाद में मत बांटो
कभी माननीयों की गोली से देवभूमि लाचार हो गई
सदन की गरिमा देश दुनिया में शर्मसार हो गई
हम पहाड हो गये साले सदन की गरिमा तार तार हो गई
देवभूमि माननीयों के चक्कर में शर्मसार हो गई
हेडमास्टरिनी जी कुछ ऐसा बनाओ नियम
माननीय हमारे बोलने में रखे संयम
जो भी आता मुंह में उसे बोल देते हैं
पवित्र देवभूमि में जातिवाद क्षेत्रवाद का बिष घोलदेते हैं
बिना होस हबास का कुछ भी बोल देते हैं..
मत करो तुम यहां पहाड़ मैदान
हम सब उत्तराखंडी एक समान
राज्य ऐसा नहीं मिला 42 शहीदों ने दिया राज्य बनाने के लिए बलिदान
समस्याओं का अंबार लगा उत्तराखंड में उनका निकालो कुछ समाधान
अपनी राजनीति के चक्कर में मत करो पहाड़ मैदान.
……
बार बार गलती करते फिर माफी मांग लेते हैं
माफ करो तो फिर संयमता की गरिमा लांघ लेते हैं
फिर उल्टा सड़क पर पीटकर हमको प्रवचन देते हैं
हम तुम्हारे आचरण को सहते रहते हैं
जनता बोली अब खत्म हो गई सहन शक्ति हमारी
करदो इनको अब गद्दी से उतारने की तैयारी
हेडमास्टरनी धाकड़ धामी जी कुछ दमभरदो
ऐसे मंत्री विधायकों को सदन से बर्खास्त करदो
जातिवाद क्षेत्रवाद को उत्तराखंड से खत्म करदो
नफरत छोड़े एक दूसरे के दिल में प्रेम के रंग घोल दो…