मसूरी के विकास पुरूष के नाम से जाने जाने वालेे पूर्व पालिकाध्यक्ष हुकम सिंह पंवार की उपलब्धियों पर चर्चा कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया

उत्तराखंड देहरादून मसूरी

मसूरी

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन संघर्ष समिति के संयोजक, मसूरी रोपवे के जनक एवं पूर्व पालिका अध्यक्ष स्वः हुकम सिंह पंवार की स्मृति में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मसूरी झूलाघर का नाम स्वः पंवार के नाम पर रखने एवं शहीद स्थल पर उनकी प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही निर्णय लिया गया कि पंवार के जन्मदिवस पर उनकी प्रतिमा का शिलान्यास किया जाएगा।
पर्वतीय सामाजिक सांस्कृतिक संस्था के वार्षिक दिवस पर गोष्टी का आयोजन किया गया जिसमें स्व. पंवार की धर्मपत्नी श्रीमती सरोज पंवार का शाॅल ओढ़ाकर व माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर गोष्ठी के संयोजक प्रदीप भण्डारी ने मसूरी के लिए पंवार की उपलब्धि बताते हुए कहा कि पालिका को करोड़ों की आय देने वाली मसूरी रोपवे, लालटिब्बा की दूरबीन, जिंसी व कोल्टी पेयजल पंप, कम्पनी गार्डन व झील, मसूरी झील आदि मसूरी के तमाम प्रमुख रोजगार पंवार ने मसूरी को दिये हैं। 1952 से मसूरी शरदोत्सव को शूरू करने का श्रेय भी पंवार को ही जाता है। कर्मचारी यूनियन के पूर्व अध्यक्ष देवेश्वर प्रसाद जोशी ने कहा कि पंवार ने देश की आजादी से लेकर उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की लंड़ाई में अग्रणीय भूमिका निभायी। स्वः पंवार वास्तव में मसूरी के विकास पुरूष थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पालिका सभासद मदन मोहन शर्मा ने कहा पंवार जी का व्यक्त्वि बहुत उंचा था वे सर्व समाज हित के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि पंवार जी की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव वे पूर्व में ही मुख्यमंत्री को दे चुके हैं। पूर्व पालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल ने कहा कि श्री पंवार ने मसूरी के विकास की कुछ अन्य योजनाएं प्रस्तावित की हुई थी जिनपर कार्य किया जाना चाहिए। समाजसेवी मेघ सिंह कण्डारी ने कहा कि नगर पालिका मसूरी में श्री पंवार के उल्लेखनीय कार्यों का दस्तावेज बनाकर रखा जाना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता पूरण जुयाल ने कहा कि मसूरी के बाद की नगर पालिकाओं ने श्री पंवार को सम्मान नहीं दिया। उन्होंने मांग की कि श्री पंवार की नगर पालिका बोर्ड में बड़ी तस्वीर लगनी चाहिए। मजदूर संघ के सचिव देवी गोदियाल ने कहा कि मसूरी में मोती बेगम मजदूर बिल्डिंग, रिक्शा स्टेण्ड से लेकर अनेक सड़कों का निर्माण श्री पंवार ने कराया। वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक मेहरोत्रा ने कहा कि श्री पंवार जी की दूरगामी सोच थी, जब एमडीडीए बना तो उसका सबसे पहले उन्होंने विरोध किया था। वहीं मसूरी शहीद स्थल पंावार जी की देन है। राज्य आन्दोलनकारी कमल भण्डारी ने कहा कि लोगों को रोजगार देने के लिये छोटे-छोटे लघु उद्योग लगवाने के हिमायती भी थे। वे मसूरी होटल ऐसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष रहे। गोष्ठी को छावनी परिषद की पूर्व सभासद पुष्पा पडियार, अनिता सक्सेना, राकेश पंवार, पंवार की पुत्रवधु पम्पोश पवंार ने आदि संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप भण्डारी द्वारा किया गया। गोष्ठी में पूर्व पालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल, सभासद जशोदा शर्मा, सरिता पंवार, सरिता कोली, मदन मोहन शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष पुष्पा पडियार, एडवोकेट आलोक मेहरोत्रा, देवेश्वर प्रसाद जोशी, कमल भण्डारी, पूरण जुयाल, राकेश पंवार, पवांर जी के पौत्र अभिजय पंवार, विरेन्द्र राणा, देवी गोदियाल, आर पी. बडोनी, मेघ सिंह कण्डारी, नरेन्द्र पडियार, शूरवीर सिंह भण्डारी, उपेन्द्र लेखवार, पुष्पा पुण्डीर, राजेश्वरी नेगी, सम्पत्त लाल, अनुज लाल, रोशन लाल, सुनील खण्डेवाल, श्रीपति कण्डारी, विनोद टम्टा समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
हुकुम सिंह पंवार का जन्म टिहरी जनपद के जौनपुर विकासखंड के थान गाँव में 14 अगस्त 1925 को भोपाल सिंह पँवार के घर में हुआ। गाँव से प्राइमरी शिक्षा पूरी कर उन्होंने मसूरी, देहरादून तथा लखनऊ से उच्च शिक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात मसूरी में ही वकालत करने लगे। पढ़ाई के लिए देहरादून गये तो श्रीदेव सुमन जैसे क्रान्तिकारी का सान्निध्य पाकर पुनः स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गये। श्री पंवार जी के लंढ़ौर घर में श्रीदेव सुमन के लिए एक कमरा हमेशा खुला रहता था।

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