3-डी भूकंपीय आंकड़े समुद्र तल और तलछटों के टकराव से उत्पन्न होने वाले समुद्री खतरों की पहचान करने में मदद करेंगे

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NEW DELHI

समुद्र की बेहद गहराई में तलछट उसके तल के ऊपर मौजूद रहते हैं और इन तलछटो में गतिशीलता भी बनी रहती है, ऐसे में समुद्र में उठने वाले कई तरह के खतरे की संभावना बनती है। उत्तरी न्यूजीलैंड के अपतटीय इलाके तारानाकी बेसिन में समुद्री तलछट की निचली सतह और समुद्र तल के बीच होने वाली परस्पर क्रिया को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने अब 3-डी भूकंपीय आंकड़ों का उपयोग किया है। यह आंकड़े समुद्र से उत्पन्न होने वाले खतरों की पहले से पहचान करने में मदद कर सकते हैं।

समुद्र से खतरा तब उत्पन्न होता है जब समुद्र तल अस्थिर होता है और गहरे समुद्र के तल से समुद्री तलछट जमीन की ओर गतिशील हो जाते हैं। इस गतविधि की पहचान नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में, समुद्र तल की अस्थिरता के कारण ड्रिलिंग रिंग की मौजदूगी स्थिति को और खतरनाक बना देती है।

समुद्र तल पर प्रवाह के दौरान तलछट की गतिशीलता को समझन और भूस्खलन जैसे समुद्री खतरों का पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में आकार के आधार पर हो रहे इस बदलाव की जांच एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है और इसके लिए भूभौतिकीय / भूकंपीय पूर्वेक्षण विधियां आवश्यक हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के वैज्ञानिक, नॉर्वे और स्विटज़रलैंड के वैज्ञानिकों ने न्यूजीलैंड के तारानाकी बेसिन में एक ठोस की तरह मिट्टी, रेत, रेजोलिथ (टूटी हुई चट्टानें ) और ढलानों पर चट्टानों के गिरने की गति के बार-बार होने वाले मामलों को जानने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले 3-डी भूकंपीय आंकड़ों का उपयोग किया। इसे तकनीकी रूप से तलछटों का भारी मात्रा में टूटना कहा जाता है। प्रो. कलाचंद सेन के नेतृत्व में हुए यह अध्ययन ‘बेसिन रिसर्च’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

बार-बार तलछटों का भारी मात्रा में टूटने की प्रक्रिया और तलछट समुद्री तल पर टकराकर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं, उसके अध्ययन में 3-डी भूकंप आंकड़े अनूठे दृष्टिकोण के रुप में मदद करते हैं। भूगर्भीय काल में 23.03 मिलियन वर्ष से लेकर 2.5 मिलयन वर्ष से पहले की अवधि को निओजीन काल कहा जाता है। उसके बाद मियोसीन से प्लियोसीन काल तक भारी मात्रा में टूटन से एकत्र हुई जमाओं (एमटीडी) के ढेर मौजूद हैं। विभिन्न युग जो निओजीन भूगर्भीय काल के तहत आते हैं। मियोसीन (23.03 से 5.33 मिलियन वर्ष पूर्व) निओजीन काल का पहला भूगर्भीय युग है और इस युग के अंत के बाद (5.33 से 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व) प्लियोसीन युग शुरू होता है। अध्ययन से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर हुए प्रवाह और उसकी जमाओं को अवरुद्ध होने से तलछट ब्लॉकी एमटीडी में परिवर्तित हो गए हैं। जो  मध्यम से उच्च ऊंचाई वाले विकृत राफ्टेड ब्लॉक , स्लाइड और मलबे के प्रवाह से हुई जमाओं के रुप में हैं। इन परिवर्तनों से समुद्री वातावरण में हुए बदलाव का पता चलता है।

यह अध्ययन समुद्र तल पर तलछट के संचलन से जुड़े विभिन्न प्रवाह तंत्रों को समझने में मदद करेगा। यह गतिशीलता के कई संकेतकों पर भी प्रकाश डालेगा जो तलछट को भारी मात्रा में गतिशीलता या प्रमुख परिवहन दिशाओं और प्रवाह के तंत्र को परिभाषित करते हैं। इन परिघटनाओं को समझने से समुद्री खतरों के पूर्ववर्तियों या समुद्र तल की प्रकृति और भू-आकृति को समझने में मदद मिल सकती है, जिस पर तलछट गतिशील हो सकते हैं। डब्ल्यूआईजीएच टीम के अनुसार, इसी तरह के भू-आकृति विज्ञान अभ्यासों को भारतीय और वैश्विक समुद्री तलछटी बेसिन तक बढ़ाया जा सकता है।

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चित्र 1: बसाल चट्टानों के तल और भारी मात्रा में टूटने के कारण हुए प्रवाह से बने ढलान, रैंप, कनवॉल्यूट फैब्रिक, राफ्टेड ब्लॉक, टर्बिडाइट चैनल, ब्रेडेड या डेल्टा चैनल, अनडीफॉर्मेड पैलियो समुद्री तल, आदि को इंगित किया गया है।

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