नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की, जिससे केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुसार टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित सामग्री से संबंधित नागरिकों की आपत्तियों/शिकायतों के निवारण के लिए एक वैधानिक व्यवस्था करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
- वर्तमान में नियमों के तहत कार्यक्रम/विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन से संबंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक अंतर-मंत्रालय समिति के माध्यम से एक संस्थागत व्यवस्था है। इसी तरह विभिन्न प्रसारकों ने भी शिकायतों के समाधान के लिए अपने यहां आंतरिक स्व-नियामक व्यवस्था कर रखी है। हालांकि, शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए एक वैधानिक व्यवस्था बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। कुछ प्रसारकों ने अपने संबंधित संघों/निकायों को कानूनी मान्यता देने का भी अनुरोध किया था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ‘कॉमन कॉज बनाम भारत संघ और अन्य’ के मामले में 2000 की डब्ल्यूपी (सी) संख्या 387 में अपने आदेश में केंद्र सरकार द्वारा स्थापित शिकायत निवारण की मौजूदा व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए शिकायत निवारण व्यवस्था को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए उचित नियम बनाने की सलाह दी थी।
- उपर्युक्त पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों में संशोधन किया गया है, ताकि इस वैधानिक व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त हो सके जो पारदर्शी होगी और जिससे नागरिक लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही प्रसारकों के स्व-नियामक निकायों को केंद्र सरकार में पंजीकृत किया जाएगा।
- वर्तमान में 900 से भी अधिक टेलीविजन चैनल हैं जिन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अनुमति दी गई है, जिनमें से सभी के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों के तहत निर्दिष्ट की गई कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पालन करना आवश्यक है। उपर्युक्त अधिसूचना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने प्रसारकों और उनके स्व-नियामक निकायों पर जवाबदेही एवं जिम्मेदारी डालते हुए शिकायतों के निवारण के लिए एक मजबूत संस्थागत व्यवस्था करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।