गुरु का नाम सिमरन करने से महा जंजाल से छूटा जा सकता है-भाई गुरूशरन सिंह

मसूरी

मसूरी। गुरु नानक फिफ्थ सैंटनरी स्कूल में आयोजित जप तप समागम व सुमिरन साधना के तहत दूसरे दिन ब्रहम मुर्हुत अमृत बेला में सिमरन साधना की गई व उसके बाद समागम का समापन किया गया।
गुरूनानक स्कूल में आयोजित दो दिवसीय चैपई साहिब, जप तप समागम और सुमिरन साधना का समारोह संपन्न हो गया। दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ अमृतवेला में सिमरन साधना से हुआ। ब्रह्म मुहूर्त में सिमरन साधना के मधुर स्वर सभागार में गूंजने लगे व भक्ति रस में डूबी संगत सांसारिक बाधाओं को भुलाकर नाम सिमरन में लीन हो गई। इस मौके पर भाई गुरु शरन जी ने जप-तप साधना की महानता बताते हुए कहा कि सबसे पहले मनुष्य को अपने हृदय से मैं के भाव का त्याग करना चाहिए। जिसके हृदय में मैं का भाव रहता है अर्थात अभिमान रहता है उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। संसार में रहकर अभिमान का त्याग करना चाहिए और सच्चे हृदय से ईश्वर के सम्मुख अपने अभिमान को कबूल करना चाहिए। गुरु ही मानव को संसार रूपी सागर से पार करेंगे इसलिए उनका हाथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। गुरु के नाम सिमरन से ही महाजंजाल से छूटा जा सकता है। समागम के अंत में गुरु नानक समिति के सचिव सरदार महेंद्र पाल सिंह जी ने सभागार में उपस्थित सभी संगत का धन्यवाद दिया। उन्होंने भाई गुरु शरण जी, तथा उनकी पत्नी सरदारनी गुरप्रीत कौर को दुशाला भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर भाई गुरशरण सिंह जी ने सरदार महेंद्रपाल सिंह तथा सरदारनी जशवीन कौर को दुशाला भेंट किया तथा गुरु नानक देव जी का स्वरूप भेंट किया। कार्यक्रम में सरदार महेंद्रपाल सिंह की उदारता एवं आध्यात्मिकता एवं गुरु के प्रति समर्पण भाव की सराहना की। सरदार महेंद्रपाल सिंह ने जत्थे के सभी सदस्यों को सिरोपा का प्रदान किया। इस मौके पर गुरु नानक समिति के सचिव महेंद्रपाल सिंह, सदस्या सरदारनी जशवीन कौर, सरदारनी गुरविंदर कौर, प्रशासनिक अधिकारी सुनील बक्शी, विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल तिवारी, हेड मास्टर कुलदीप सिंह त्यागी, पवनजीत कौर, अफ्फाक खान, समस्त शिक्षकवर्ग तथा इक्यावन शहरों से आए हुए अतिथि मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में अनंद साहिब का पाठ, अरदास, हुकुमनामा के साथ ही चैपई साहिब जप तप सिमरन साधना समारोह संपन्न हुआ।

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