हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल का 103 वॉ जन्मदिवस उत्तरांचल प्रेस कलब में मनाया गया

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून

प्रकृति के सुकुमार कवि का जन्मदिन पर भावपूर्ण स्मरण
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– हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की याद में उत्तरांचल प्रेस क्लब ने आयोजित की गोष्ठी
– कहा, प्रकृति का जैसा चित्रण चंद्रकुंवर कविताओं में हुआ है, वैसा अन्यत्र देखने को नहीं मिलता
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हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की 103वीं जयंती पर उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। वक्ताओं ने कहा कि चंद्रकुंवर बर्त्वाल ने अपने अल्प जीवन में हिंदी कविता को जो ऊंचाइयां दीं, वह अपने आप में अद्वितीय हैं। प्रकृति का जैसा चित्रण उनकी कविताओं में हुआ है, वैसा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। अस्वस्थ होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर लखनऊ से वापस अपने गांव लौटना पडा़। जीवन के अंतिम छह साल उन्होंने अपने गांव मालकोट के पास पंवालिया में बिताए। इसी अवधि में उन्होंने अपनी कालजयी कृतियां रचीं।
चंद्रकुंवर जानते थे वह अधिक नहीं जी पाएंगे, लेकिन विवशता का यह भाव उन्होंने अपनी रचनाओं में नहीं आने दिया। उन्होंने अपने अल्पजीवन को प्रकृति का उपहार माना और कष्ट सहते हुए भी कविताओं के रूप में प्रकृति के ऋण से उऋण होने का प्रयास किया। वक्ताओं ने इस बात पर अफसोस जताया कि प्रकृति के इस चितेरे कवि को साहित्य जगत में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे वास्तविक हकदार थे। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उन्हें जानने का प्रयास करें और उनकी कालजयी रचनाओं से भविष्य की पीढी़ को परिचित कराएं। इस मौके पर प्रसिद्ध जनकवि डा.अतुल शर्मा ने प्रकृति के भावों को उजाकर करती अपनी कविताओं के माध्यम से चंद्रकुंवर बर्त्वाल को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि प्रकृति और चंद्रकुंवर एक-दूसरे के पर्याय हैं। हम प्रकृति के स्वरूप से छेड़छाड़ करने के बजाय, उसे अपने-अपने स्तर से संवारने का प्रयास करें। यही प्रकृति के इस सुकुमार कवि के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गोष्ठी में उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के महामंत्री हरीश जोशी, प्रेस क्लब की सृजन समिति के संयोजक दिनेश कुकरेती, वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र सेमवाल, मसूरी प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार अजय राणा आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन प्रेस क्लब के महामंत्री ओपी बेंजवाल ने किया। इस मौके पर क्लब कार्यकारिणी सदस्य राजेश बड़थ्वाल व राजकिशोर तिवारी, पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेंद्र नेगी, साहित्यकार रंजना शर्मा व रेखा शर्मा, केएस बिष्ट समेत काफी संख्या में क्लब के सदस्य मौजूद रहे। इससे पूर्व, महामंत्री ओपी बेंजवाल, संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती व अन्य वरिष्ठ सदस्यों ने स्मृति चिह्न व क्लब की नवप्रकाशित डायरी भेंटकर जनकवि डा.अतुल शर्मा को सम्मानित किया। वही दूसरी ओर

देहरादून स्थित चन्द्रकुवंर बर्त्वाल शोध संस्थान ने इस बार पिछले कई वर्षाे की भांति कवि का जन्मदिवस मनाया गया। कवि की हिन्दी साहित्य को सौपी गई निधि पर चर्चा हुई। इस बार कवि की दुर्लभ कृतियों को संकलित कर एक सम्पूर्ण काव्य ग्रंथ प्रकासित किया गया। जिसमें कवि की एक हजार से अधिक कवितायें है।
यह कवितायें हिमालय के सौन्दर्य से लेकर उपनिवेसवाद,व साम्राज्यवाद के विरोध की है।इस पुस्तक में कई महत्वपूर्ण समीक्षायें भी है। 546 पृष्ठ की इस सम्पूर्ण कविता संग्रह से छात्रों पाठकों व शोधकर्ताओं को कवि की रचनाओं के लिए भटकना नहीं पडेगा।हिमवंत का एक कवि, नंदनी, गीत माधवी, कंकड पत्थर,जीतू,पयस्वनी,काफलपाकों एवं मुक्तायें एक साथ पड़ने को मिल जायेगी।
उत्तराचंल प्रेस क्लब में आयोजित 103वंे जन्म दिवस समारोह में यह प्रसन्नता व्यक्त की गई कि संस्थान ने पाठकों को कवि का साहित्य उपल्बध कराया है। संस्थान के सचिव एवं काब्य संग्रह के संकलन संपादक डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल ने कहा कि अब विद्यालयों विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में कवि की रचनाऐ लग गई है। कई शोध छात्र गहन अध्ययन करना चाहते है उनके लिए यह संकलन लाभकारी सावित होगा।
समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर साहित्य को उपल्ब्ध करवाने में साहित्यकार डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल का महत्वपूर्ण योगदान है।उनकी मेहनत से वो सत्त रूप से हिमवंत कवि चन्द्रकुवंर बर्त्वाल के साहित्य उन्नयन में बीते 40 वर्षो से काम करते आ रहे रहे है।जिसमें उन्होने कई स्थानों पर कवि की मूर्तियां भी स्थिापित की है और महाविद्यालयों व विद्यालयों का नामकरण कवि के नाम पर किया गया है उसी का एक स्वरूप जब में मुख्यमंत्री था तो मैने जनपद देहरादून के जिलाधिकारी कार्यालय स्थिति सभागार का नामकरण ऋषिपर्णा रखा गया। उन्होने कहा कि कहा कि जो रिस्पना का नाम ऋषिपर्णा आया है वह भी हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर के काव्य साहित्य से ही लिया गया है। विशिष्ठ अतिथि चन्द्रकुवंर साहित्य पर प्रथम डी लिट प्राप्त करने वाली डॉ पुष्पा खण्डुरी ने कवि की कविताओं को वाचन करते हुऐ उन्होंने कवि की तुलना प्रसाद,पंत व निराला से की है।पूर्व आइ.ए.एस चन्द्र सिंह ने कहा कि जब मैं जनपद चमोली में जिलाधिकारी पद पर विराजमान था तो मुझे हिमवंत कवि के गांव जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गांव के लोगो ने कवि के बारे में रोचक घटनाये व कवितायें बताई। जिससे मुझे कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल को जानने की इच्छा जाहिर हुई।तब मै लगातार संस्थान के सचिव डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल के सर्म्पक में रहते हुऐ कवि की जयंती व पुण्य तिथि के कार्यक्रम में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मुख्य वक्ताओं में समर भण्डारी,जगदीश कुकरेती,रानू बिष्ट,आदि ने हिमवंत कवि के बारे में सभागार में उपस्थित साहित्यकारों को बताया कि हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल अल्प आयु में हिन्दी जगत को इतना काब्य साहित्य दे गये है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे मनोहर सिंह रावत ने कवि की तुलना भारवी व कालिदास से की। कार्यक्रम का संचालन मोहन सिंह नेगी व शूरवीर सिंह भण्डारी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर डॉ मुनिराम सकलानी,डॉ मीनाक्षी रावत,प्रभा सजवाण,विवेकानंद खण्डूडी,सुरेन्द्र सिंह सजवाण,विनोद खण्डूडी,जनकवि चन्दन सिंह नेगी,मंजूर अहमद वैग,पूरन सिंह रावत,भानु प्रकाश नेगी,डॉ मानवेन्द्र बर्त्वाल,रविदर्शन सिंह तोपाल,हर्ष उपाध्याय,हरजिन्दर सिंह ,विजय पाहवा,कैप्टेन प्रेम सिंह रावत जगवीर सिंह बर्त्वाल,शक्ति बर्त्वाल,दीपक बहुगुणा,जसवंत सिंह जगपांगी,कुलवंती देवी,गौरब बर्त्वाल,मुकुल परमार,सुमित्रानंदन पंत विचार मंच के राकेश पंत आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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