मसूरी में प्रकृति के सुकुमार कवि बर्त्वाल की 75वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण स्मरण

उत्तराखंड मसूरी शिक्षा

– हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की याद में
आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने
कहा, प्रकृति का जैसा चित्रण चंद्रकुंवर कविताओं में हुआ है, वैसा अन्यत्र देखने को नहीं मिलता
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मसूरी,
: हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की 75वीं पुण्य तिथि पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। मॉलरोड स्थित कवि की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान मसूरी और द हिल्स ऑफ मसूरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में
वक्ताओं ने कहा कि चंद्रकुंवर बर्त्वाल ने अपने अल्प जीवन में हिंदी कविता को जो ऊंचाइयां दीं, वह अपने आप में अद्वितीय हैं। प्रकृति का जैसा चित्रण उनकी कविताओं में हुआ है, वैसा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। अस्वस्थ होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर लखनऊ से वापस अपने गांव लौटना पडा़। जीवन के अंतिम छह साल उन्होंने अपने गांव मालकोट के पास पंवालिया में बिताए। इसी अवधि में उन्होंने अपनी कालजयी कृतियां रचीं।
चंद्रकुंवर जानते थे वह अधिक नहीं जी पाएंगे, लेकिन विवशता का यह भाव उन्होंने अपनी रचनाओं में नहीं आने दिया। उन्होंने अपने अल्पजीवन को प्रकृति का उपहार माना और कष्ट सहते हुए भी कविताओं के रूप में प्रकृति के ऋण से उऋण होने का प्रयास किया। वक्ताओं ने इस बात पर अफसोस जताया कि प्रकृति के इस चितेरे कवि को साहित्य जगत में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे वास्तविक हकदार थे। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उन्हें जानने का प्रयास करें और उनकी कालजयी रचनाओं से भविष्य की पीढी़ को परिचित कराएं।
बतौर मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि कवि की कविताओं पर निरंतर शोध के लिए मसूरी में जल्द ही पीठ की स्थापना की जायेगी। उन्होंने कहा कि इतनी कम उम्र में बर्त्वाल ने विराट हिंदी साहित्य का सृजन किया है। संगोष्ठी में वक्ताओं ने बर्त्वाल के कविता संसार पर प्रकाश डाला। और कहा कि वे हिमालय के विरले कवि हुए हैं, जिन्होंने पहाड़ को जिया और कविताओं को उकेरा। उन्होंने कहा कि वे करुणा, वेदना के कवि हुए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने कहा कि बर्त्वाल की कविताओं में समूचा पहाड़ झलकता है। उन्होंने कहा कि शोध संस्थान और द हिल्स लगातार कवि की कविताओं के प्रचार प्रसार में जुटा है। इसके लिये संस्थान का साधुवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर मसूरी गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्राओं ने चंद्रकुंवर की कविताओं का पाठ किया। विशिष्ट अतिथि केदारखण्ड सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष एस पी चमोली ने
कविताओं के माध्यम से चंद्रकुंवर बर्त्वाल को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि प्रकृति और चंद्रकुंवर एक-दूसरे के पर्याय हैं। हम प्रकृति के स्वरूप से छेड़छाड़ करने के बजाय, उसे अपने-अपने स्तर से संवारने का प्रयास करें। यही प्रकृति के इस सुकुमार कवि के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गोष्ठी में उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी, चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान मसूरी के अध्यक्ष शूरवीर भंडारी ने हिमवंत कवि की कविताओं पर व्यापक प्रकाश डाला। मसूरी में पीठ की स्थापना की घोषणा के लिये पालिकाध्यक्ष गुप्ता का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संस्थान के सचिव नरेंद्र पड़ियार, संयोजक उपेंद्र लेखवार के अलावा उत्तराखंड, माधुरी चमोली, रजत अग्रवाल, जगजीत कुकरेजा, नागेंद्र उनियाल चंद्रकुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान एवं द हिल्स के तत्वाधान में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, चंद्रकुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान मसूरी के अध्यक्ष शूरवीर भंडारी, महामंत्री नरेंद्र पडियार, संयोजक उपेंद्र लेखवार, पालिका सभासद दर्शन सिंह रावत, प्रताप पंवार, पंकज खत्री, भगवती प्रसाद कुकरेती, राम प्रसाद कवि, भगवान सिंह धनाई, पूर्व सभासद कमल कैंतुरा, विजय बिंदवाल, अनंत प्रकाश, राजीव अग्रवाल, रमेश कुमार, कमल कैंतुरा, गणेश कोठारी, भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष पुष्पा पडियार, भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, कुशाल सिंह राणा,अरविन्द सेमवाल,  सतीशचंद्र ढौडियाल, विजय रमोला, विरेंद्र कैंतुरा, कविता भंडारी, प्रमिला नेगी, राजश्री रावत, विजयलक्ष्मी काला, देवी गोदियाल, मेघ सिंह कंडारी, महेश चंद, वसीम खान, मासंती धनाई, ओपी द्विवेदी, कुसुम द्विवेदी, कमल शर्मा, ़ऋचा गोयल, नरेंद्र पडियार, दिनेश बडोनी, प्रदीप द्विवेदी,  भगवान सिंह चौहान, पंकज अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, डा सुनीता राणा, पूर्णिमा पंवार, सुमित्रा गुनसोला, पायल थापली, अनिल चौधरी, पूजा चौहान,, हरीश टम्टा, राधेश्याम शर्मा , अर्जुन गुसाईं , शैलेन्द्र बिष्ट आदि मौजूद थे।

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