गढवाली फिल्म पितृकुड़ा के टाइटल गीत का विमोचन

उत्तराखंड मनोरंजन मसूरी

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लाइब्रेरी स्थित एक होटल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पीबी फिल्म के तत्वाधान में उत्तराखंड की अनोखी पंरपंरा बनने वाली गढवाली फिल्म पितृकुड़ा संस्कार के शीर्षक गीत का लोकार्पण मुख्य अतिथि मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता, विशिष्ट अतिथि सारेगामा फेम गायिका व समाजसेवी डा0 सोनिया आनन्द रावत, संगीतकार संजय कुमोला, गायक जितेंद्र पंवार, कमल भडारी, तथा इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखण्डी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
पितृकुड़ा फिल्म के टाइटल गीत का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि प्रदीप भंडारी द्वारा बनायी जाने वाली फिल्म पितृकुड़ा का गीत बेहद मार्मिक है। और उत्तराखंड की समृृद्व सांस्कृतिक विरासत की समृद्ध पंरपरा का द्योतक है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा विषय है जो हर किसी के मन को छू जाता है। उन्होेने बधाई देते हुए कहा कि यह फिल्म निश्चित ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत में मील का पत्थर साबित होगी तथा पहाड़ की परम्पराओं से जुड़ी ऐसी फिल्में उत्तराखण्ड की गौरवशाली संस्कृति को बचाने का काम करती हैं। इस मौके पर फिल्म के निर्देशक व लेखक प्रदीप भंडारी ने कहा कि विश्व में यह परम्परा और कहीं नहीं पायी जाती है। जहॉ लोग अपने दिवंगत परिजनों को मृत्यु के बाद भी पितृकुड़ा ;पितर आवास में एक लिंग के रूप में स्थापित कर देते हैं। शीघ्र ही लोगों को इस ऐतिहासिक विषय पर फिल्म देखने को मिलेगी। गायिका व समाज सेवी डा0 रावत ने कहा कि आज उत्तराखण्ड की युवा पीढ़ी को अपनी इस अनमोल परम्पराओं को जानने की जरूरत है। फिल्म पितृकुड़ा नई पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ेगी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार उत्तराखंड की संस्कृति को बढाने की दिशा में काम नहीं कर रही न ही कलाकारों को सम्मान दे रही है। पितृकुडा एक ओर जहां हमारे पितृों की याद दिलाता है वहीं पलायन को भी दर्शाता है। इतिहासकार जय प्रकाश उत्तराखण्डी ने कहा कि आज फूहड़ विषयों पर तो गीत व फिल्में बन रही हैं मगर ऐतिहासिक विषय पर पितृकुड़ा फिल्म व गीत बनना एक सार्थक कार्य है। इससे पर्व यहॉ स्की्रन पर पितृकुड़ा का शीर्षक गीत दिखाया गया। चित्रगीत में पितृकुड़ा की महत्वता एवं पलायन के कारण पहाड़ के पितृकुड़ों ;पितर आवास की अनदेखी के कारण पितृकूड़ों की दुदर्शा को दर्शाया गया है। स्क्रीन पर अपने घास जमें पौराणिक घरों को देखकर दर्शकों की ऑखें भर आयी। इस गीत को गाया है मेलोडी किंग के नाम से मशहूर जितेन्द्र पंवार और संगीतकार व गायक संजय कुमोला ने गीत को आवाज दी व कार्यक्रम में इस गीत को गाकर श्रोताओं को भावुक कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार शूरवीर सिंह भंडारी ने पितृकुडा जैसे अनेक पंरपराओं को भावी पीढी तक ले जाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में लोग अपनी मूल संस्कृति और परंपराओं से मुंह मोड़ रहे है। कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड फिल्मों के अभिनेता गंभीर जायडा ने किया। इस अवसर पर राज्य आन्दोलनकारी देवी गोदियाल, कमल भण्डारी, केदार चैहान, पूरण जुयाल, बृजेश भट्ट, हरीश कुकरेजा, आर0 पी0 बड़ोनी, श्रीमती पुष्पा पडियार, कमलेश भण्डारी, अनीता पुंडीर, प्रोमिला नेगी, ममता रावत स्मृति सरीन हरि, राधा आनंद, राजेश्वरी नेगी आदि मौजूद थे।

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