मौण मेला में 25 हजार किलो से अधिक मछली पकड़ी

उत्तराखंड मसूरी

मसूरीे

मसूरी से सटे जौनपुर क्षेत्र में अगलाड़ नदी पर मछलियां पकड़ने का ऐतिहासिक मौण मेले का आयोजन किया गया जिसमें 25 हजार किलो से अधिक मछली पकडी गई। मेले में हजारों की संख्या में लोगों ने नदी में मछलियों को पकड़ने के लिए मौजूद रहे।
मौण पर्व जौनपुर की अनोखी सांस्कृतिक संमृद्धि का पर्व है जिसमें वर्ष में एक बार मछलियां पकड़ी जाती है। कोरोना संक्रमण के चलते दो वर्ष तक मेले का आयोजन नहीं किया गया लेकिन दो वर्ष बाद लोगों में मेले को लेकर खासा उत्साह देखा गया। इस मेले में टिमरू नामक लकड़ी को पीसकर उसका पाउडर बनाया जाता है जिसे नदी में डाला जाता है जिससे मछलियां कुछ देर के लिए मूर्छित हो जाती है और उसके बाद ग्रामीण मछलियों को पकड़ते है। जौनपुर में मनाया जाने वाला मौण मेला धूमधाम के साथ मनाया गया इस मौके पर ग्रामीणों ने अगलाड़ नदी में टिमरु से बने पाउडर को नदी में डाल कर मछलियां पकड़ी जहां पर हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने मौण मेले में शिरकत की। बताते चलें कि जौनपुर का ऐतिहासिक मौण मेला दशकों से आयोजित किया जाता रहा है बताया जाता है कि टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने सन 1876 में इसकी शुरुआत की थी बताया जाता है कि टिहरी नरेश ने अगलाड़ नदी में आकर मौण टिमरु का पाउडर डाला था उसके बाद निरंतर यहां मेला आयोजित किया जाता रहा और इसमें राज परिवार के लोग भी शामिल होते थे इसी परंपरा को जीवित रखते हुए आज भी जौनपुर के लोगों द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाता है और टिमरू से बने पाउडर से मछलियों को पकड़ा जाता है सबसे अधिक मछलियां पकड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है टिमरू के पाउडर से जहां नदी साफ हो जाती है मछलियां भी कुछ देर के लिए मूर्छित होकर फिर से जीवित हो उठती है जाल और कुनियाला से मछलियों को पकड़ा जाता है। इस बारे में जानकारी देते हुए ग्रामीण भोपाल सिंह ने बताया है कि यह मेला दशकों से आयोजित किया जाता रहा है उन्होंने कहा कि इससे जहां आपसी भाईचारा बढ़ता है वहीं इस मेले में हिमाचल देहरादून आदि क्षेत्रों से भी लोग यहां मेले में शिरकत करते हैं उन्होंने बताया कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना काल के दौरान इस मेले का आयोजन नहीं किया गया था लेकिन आज बड़ी संख्या में यहां पर ग्रामीण एकत्रित हुए हैं और मौण मेले का आनंद ले रहे है।

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