गीता कपाडिया की हिमालय से जुड़े चित्रों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

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लंढौर बाजार घंटाघर स्थित वीआर आर्ट स्पेस में इन दिनों ख्याति प्राप्त चित्रकार गीता कपाडिया के हिमालय के विभिन्न रूपों के बनाये चित्रों की प्रदर्शनी लगी है। हिमालयन ध्वनि नाम से लगाई गई प्रदर्शनी में बहुत सुंदर चित्र केनवास पर उकेरे गये हैं।
वीआर आर्ट गेलरी में लगी प्रदर्शनी में चित्रकार गीता कपाडिया के हिमालय के विभिन्न रूपों व चोटियों पर बनाये आकर्षक चित्र देखते ही देखने वाला आनंदित हो जाता है। यह प्रदर्शनी आगामी 18 जनवरी तक लगी रहेगी। हिमालय के प्रति समर्पित इस चित्र प्रदर्शनी में गीाता कपाडिया के चित्र किसी फोटो से नहीं बनाये गये है बल्कि उन्होंने हिमालय के विभिन्न क्षेत्रो में जाकर जिन चोटियों को देखा उनको अपनी स्मृति में रखकर पूरी तन्मयता व अतर्रात्मा से इन्हें बनाया है जो इन चित्रों में झलकती है। मालूम हो कि गीता कपाडिया के पति जाने माने पर्वतारोही रहे हैं वहीं वह खुद भी पर्वतारोही रही है व लेखक भी हैं। गोवा में जन्मी गीता अब मुबंई में रहती हैं तथा हिमालय क्षेत्र के लगाव होने के कारण उसे अपनी पेंटिंग में प्रमुखता से रखती हैं। वहीं वह भारत की विभिन्न सांस्कृतिक विरासत को संजोने का कार्य भी करती हैं। प्रदर्शनी के बारे में जानकारी देते हुए प्रदर्शनी की संयोजक सुरभि अग्रवाल ने बताया कि मसूरी का दुर्भाग्य है कि यहां पर सांस्कृतिक विरासत को संजोने का कोई कार्य नहीं हो पा रहा है और न ही किसी को इस बारे में पता है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि मसूरी में जो बच्चे अपनी सांस्कृतिक विरासत के बारे में सीखना चाहते हैं उनका इसमें रूचि है उनकी प्रतिभा को प्रशिक्षण देकर निखारा जाय। उन्होंने कहा कि मसूरी में कई बड़े आर्टिस्ट हैं लेकिन किसी को पता नहीं है और न ही उनका मसूरी के प्रति कोई रूझान रहा है उनका प्रयास होगा कि ऐसे महान आर्टिस्टों से संपर्क किया जाय ताकि युवा पीढ़ी उनसे सीख सके व उस क्षेत्र में करियर बना सके। उन्होंने कहा कि जो पर्यटक मसूरी में घमने आते है वह केवल घूमें नहीं बल्कि उन्हें पता चलना चाहिए कि यहां की सांस्कृतिक विरासत, आर्ट व इतिहास भी है। वहीं जो आर्टिस्ट बाहर से मसूरी आते है उनके लिए स्टूडियों बनाया गया है कि वे यहां पर आकर चित्र बना सकें व इस क्षेत्र में रूचि रखने वाले कुछ सीख सकें। वहीं एक गैलरी उत्तराखंडी आर्ट की भी बनाई गयी है जिसमें उत्तराखंड की चित्रकला को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

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