वरिष्ठ पत्रकार और सीमांत प्रहरी के संपादक हरबचन सिंह का देहांत, पत्रकार और सामाजिक संगठनों ने शोक जताया

उत्तराखंड मसूरी

मसूर
पांच दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के एक मजबूत स्तंभ रहे सीमांत प्रहरी के संपादक हरबचन सिंह का गुरूवार दोपहर में निधन हो गया। उनके निधन का समाचार सुनकर पत्रकार जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके पुत्र डा जसप्रीत सिंह ने बताया कि अंतिम संस्कार हरिद्वार में ही किया जाएगा। पत्रकार हरबचन सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 81 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया। इन दिनों वे हरिद्वार में सपरिवार अपने पुत्र के साथ रह रहे थे। वे अपने पीछे एक पुत्र डा जसप्रीत सिंह, पत्नी रविंद्र कौर समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए। उनके निधन पर मसूरी के पत्रकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया। मसूरी प्रेस क्लब के सदस्यों समेत नगर के गणमान्य लोगों और सामाजिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया। बता दें कि पत्रकारिता के अलावा उन्होंने समाजसेवा में उल्लेखनीय कार्य किया। वे लंबे समय तक रोटरी मसूरी और तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी और लंढौर श्री गुरू सिंह सभा से जुड़े रहे। उनके निधन पर तिलक लाइब्रेरी के अध्यक्ष आलोक मेहरोत्रा, सचिव राकेश अग्रवाल आदि ने शोक ने व्यक्त किया है। सीमांत प्रहरी आजादी के बाद से लगातार मसूरी से प्रकाशित होता रहा। करीब पांच दशक से अधिक समय से हरबचन सिंह सीमांत प्रहरी का संपादन कर रहे थे। बीते तीन साल पहले ही उन्होंने सीमांत प्रहरी के टाइटल को फ्रीज कर दिया था। और प्रकाशन बंद कर दिया था। उनका स्वास्थ्य लंबे समय से खराब चल रहा था। सीमांत प्रहरी के जरिए सरदार हरबचन सिंह पहाड़ के गांव-गांव से जुड़े हुए थे। जिस जमाने में दैनिक अखबारों का बोलबाला नही था। उन दिनों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब में सीमांत प्रहरी जनता के ज्वलंत मुद्दों पर समाज का सही मायने में प्रहरी का काम करता था।पत्रकारिता के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश पंजाब समेत विभिन्न राज्यों मंे सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान द्वारा भी सम्मानित किया गया था।

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