सख्त भू कानून की मांग जोर पकड़ने लगी है, 2022 के विधानसभा चुनाव को विपक्ष कर रहा जमीन तैयार, आंदोलनकारी हुए मुखर, मसूरी में धरना प्रदर्शन

उत्तराखंड मसूरी

मसूरी
आने वाले विधानसभा चुनाव में भू कानून बड़ा मुद्दा बनकर सामने आएगा। सत्तासीन भाजपा की घेराबंदी के लिए भू-कानून को विपक्ष जोर-शोर से उठाने के मूड़ में दिख रहा है। भाजपा के भीतर से भी भू-कानून को लेकर आवाजें आने लगी हैं। राज्य आंदोलनकारी और यूकेडी तो इसे बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में धार देने जा रही है। विपक्षी दलों के फ्रंटलिएल आर्गनाइजेशन के लिए बाकायदा भू-कानून की विस्तृत जानकारी मुहैया करायी जा रही है। उत्तराखंड में पृथक राज्य आंदोलन के दौरान रहे हाॅट स्पाॅट से इस मुहिम को धार देने का काम किया जा रहा है। राज्य बनने के 20 साल बाद भी आम पहाड़ी अपने को ठगा महसूस कर रहा है। पहाड़ से जो विधायक बनकर आए। उन्होंने सबसे पहले देहरादून में अपनी रिहाईश और जमीनें तलाशी। और खुद ही पहाड़ से पलायन कर गए। अब पहाड़ी क्षेत्रों में गरीब जनता की आवाज सुनने वाला कोई नही। पहाड़ की जमीनें लोग देहरादून की चकाचैंध देख औने-पौने दामों में बेचकर राजधानी में अपना ठोर तलाश रहे हंै। लेकिन इससे बड़ा खतरा यह हो गया कि कोविड-19 की त्रासदी के बाद से महानगरों के धन्नासेठों की नजर देश के शांत पहाड़ी इलाकों पर जमने लगी है। इसके लिए सख्त भू-कानून जरूरी है। वरना पहाड़ी भुला फिर से मुबई, दिल्ली और अन्य महानगरों के होटलों के मालिकों के रहमोकरम पर रहेगा। भाजपा में बड़ा धड़ा सशक्त भू-कानून की पैरवी करने में जुट गया है। जबकि सत्ता के शीर्ष पर बैठ चुके कुछ नेता नही चाहते कि भू-कानून बने। निहित स्वार्थ भी हंै। अब देखना यह होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की मन की बात कौन सुनाएगा। और क्या इस पर अमल होगा। बहरहाल जो भी हो भू-कानून को लेकर उत्तराखंड में लामबंदी शुरू हो चुकी है। और कमोवेश यह आंदोलन पृथक राज्य के गठन जैसा ही रूप ले ले। इसमें कोई संदेह भी नही। भाजपा और कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए पहाड़ी सेंटीमेंट को झंकृत करने की हर संभव कोशिश की जा रही है। आंदोलनकारी संगठन अब इस कानून के केंद्र में आ गए है। अब यह आंदोलन करीब-करीब 1994 के शुरूआती दौर जैसा रूप में दिखने लगा है। इस आंदोलन में राजनीति का चोला उतारकर लोग शरीक होने लगे हैं।
मसूरी स्थित शहीद स्थल झूलाघर में भू कानून, वन टाइम सेेटलमेंट की मांग को लेकर उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी संगठन् ने धरना दिया तथा मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय माॅग का ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि शीघ्र माॅग पूरी न होने की दशा में अनिश्चितकालीन जन आन्दोलन राज्यभर में शूरू कर दिया जाएगा।
अमर शहीद श्रीदेव सुमन की शहादत दिवस 25 जुलाई को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राज्य आन्दोलनकारियों ने मसूरी शहीद स्थल पर सुबह 11 बजे से धरना शूरू किया। धरने में मसूरी एवं देहरादून से अनेक आन्दोलनकारी व जन संगठनों के सदस्य शामिल हुए। राज्य आंदोलनकारी जय प्रकाश उत्तराख्ंाडी, केदार चैहान, कमल भंडारी, देवी गोदियाल, पूरण जुयाल, प्रदीप भंडारी आदि ने वक्ताओं ने राज्य सरकार पर निरन्तर राज्य निर्माण के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने की बात कही। कहा कि राज्य में तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा सरकार ने पिछले 4 साल में राज्य हित का एक भी कार्य नहीं किया। बल्कि लगातार राज्य निर्माण आन्दोलनकारियों की उपेक्षा व अपमान किया है। वक्ताओं ने कहा कि आन्दोलनकारी विरोधी भाजपा सरकार में आन्दोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण का विधेयक राजभवन में अटका हुआ है। सभी सरकारों ने आन्दोलनकारियों को बाॅटने का कार्य किया है। जिसके तहत एक ही धारा में जेल जाने वाले आन्दोलनकारियों को अलग अलग पेंशन दी जाती है। आन्दोलनकारियों को सरकार स्वास्थ्य उपचार सुविधा तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है। वहीं आन्दोलनकारियों की पेंशन बढ़ोŸारी की माॅग सरकार को जल्द पूरी करनी चाहिए। आन्दोलनकारी प्रदीप भण्डारी ने कहा कि राज्य निर्माण के लिए 7 लोगों की शहादत देने वाली मसूरी में स्थानीय निवासियों का भारी उत्पीडन किया जा रहा है। सरकार द्वारा शिफनकोर्ट के वाशिंदों के घर तोड़कर बेघर कर दिया गया। मसूरी में राज्य गठन के 21 वर्षों में न आवास कालोनी बनी है न कोई मार्केट बना, युवा पीढ़ी बेरोजगार । मसूरी वन विभाग की जन विरोधी कार्यशेली के कारण आज तक वन भूमि का सर्वे पूरा नहीं हुआ है जिससे मसूरी के लोगों को वन टाईम सेटलमेंट योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग 15 वर्ष से अभी तक यह तय नहीं कर पाया कि मसूरी में वन भूमि कौन सी है और कौन सी नहीं । जिस कारण मसूरी में आम आदमी के आवास के नक्शे न पास हो रहे हैं न शमन हो पा रहे हैं। धरने के पश्चात आन्दोलनकारियों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक साथ सूत्रीय ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में माॅग की गई है कि उत्तराखण्ड राज्य में अविलम्ब सशक्त भू.कानून बनाकर लागू किया जाय। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें समाप्त किए जांय। राजभवन एवं शासन स्तर पर उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों की लंबित सभी माॅगों को अविलम्ब पूरा किया जाए। समान पेंशन योजना लागू की जाए। मसूरी में वन विभाग और सर्वे आॅफ इण्डिया से सर्वे कार्य अति शीघ्र पूरा करवाकर मसूरी के भवन स्वामियों को वन टाईम सेटलमेंट योजना का लाभ दिया जाय। मसूरी नगर पालिका एवं शासन को मिलकर मसूरी के मूल निवासी युवाओं को स्वःरोजगार हेतु दुकानें बनाकर आवंटित करने हेतु आदेशित किया जाय। मसूरी के बेघर लोगों को नगर पालिका मसूरी एवं शासन मिलकर अतिशीघ्र आवास उपलब्ध कराएं। मसूरी के सभी होटलों एवं वाणिज्य प्रतिठानों में 90 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को नौकरी दी जाए। धरने पर बैठने वालों में जय प्रकाश उत्तराखण्डीए का0 सुरेन्द्र सिंह सजवाण, देवी गोदियाल, कमल भण्डारी, केदार चैहान, बिजेंद्र ंभंडारी, जिलाध्यक्ष जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती, राम खण्डूड़ी, सुमन भण्डारी, कृष्ण सागर नौटियाल, आर0पी0 बडोनी, चन्द्र प्रकाश गोदियाल, राकेश पंवार, श्रीपति कण्डारी, सुरेन्द्र रावत, सभासद प्रताप पंवार, दर्शन सिंह रावत, कुलदीप रौंछेला, असलम खान, एडवोकेट आलोक मेहरोत्रा, संजय टम्टा, कीर्ति कण्डारी, संजय गोस्वामी, मुलायम सिंह रावत, राजेश शर्मा, कामिल अली, श्याम सिंह चैहान, डा0 सोनिया आनन्द रावत, मनीष गौनियाल, सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

Spread the love