प्राथमिक कक्षाओं में देश की आजादी से जुडा इतिहास पाठृयक्रम में शामिल किया जाना चाहिए- गुलाम नबी आजाद

उत्तराखंड देश

जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल हो और तत्काल चुनाव कराए जाए
मसूरी

शहीद भगत सिंह के 114वें जन्म दिवस पर इप्टा मसूरी ने शहीद ए आजम भगत सिंह सम्मान समारोह का आयोजन किया जिसमें आजादी में अहम योगदान देने वाले अश्फाक उल्ला खां, भगत सिंह, सुखदेव, बहादुर शाह जफर के परिजनों को सम्मानित किया गया। वहीं स्थानीय स्तर पर भी तीन विभूतियों को सम्मानित किया गया।
राधाकृष्ण मंदिर सभागार में आयोजित शहीद भगत सिंह के 114वें जन्म दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने अपने संबोधन में कहा कि 9 अगस्त 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो का आखरी नारा लगा व उसके बाद देश की आजादी का आंदोलन तेज हो गया। कार्यक्रम में बहादुर शाह जफर के परिवार से आए सदस्यों को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि बहादुर शाह जफर एक नेक दिल व बेहतरीन इंसान थे। 10 सितंबर 1927 को अश्फाक उल्लाह खान, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लहरी को फांसी हुई। उसके बाद 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरू व सुखदेव को फांसी हुई। उन्होंने कहा कि सबका लक्ष्य एक ही था देश की आजादी। लेकिन हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुछ हिंसा और अहिंसा के पथ पर चलते थे। । उन्होंने कहा कि प्राथमिक कक्षाओं में देश की आजादी से जुडा इतिहास पाठृयक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज लोग पैसे की ओर भाग रहे हैं जब तक शंाति व प्यार नहीं होगा, देश का विकास नहीं हो सकता, अगर आपके पास करोड़ो रूपये भी होगें तो नींद नहीं आयेगी। हालात यह है कि इंसान इंसान से डर रहा है। उन्होंने कहा कि हम कश्मीरी पंडित थे लेकिन लेकिन सभी ने धर्म बदल दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम दो भागों में होना चाहिए था क्यों कि देश में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आये हैं। लेकिन जो बातें यहां हुई उसे जीवन मेें लाये भूलें नहीं। इससे पहले भगत सिंह चैक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया व जनगीत गाये गये जिसमें शहीदों के परिजनों ने भी भाग लिया व उनका माला पहना कर स्वागत किया गया। इसके बाद आयोजित सम्मान समारोह में शहीद भगत सिंह के प्रपौत्र करण सिंह संधु, अश्फाक उल्ला खां के प्रपौत्र अश्फाक उल्ला खां, व सुखदेव के प्रपौत्र अनुज थापर को शाॅल, स्मृति चिन्ह व गुलदस्ता देकर बतौर मुख्यअतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व गांधी ग्लोबल फैमिली संस्था के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने सम्मानित किया। वहीं उन्होंने मसूरी की प्रतिभा गायिका मनु वंदना को देश की आवाज, शिव अरोड़ा को फोटो ग्राफी व सोनिया आंनद रावत को गढभूमि रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में हिंदी मासिक नित्यनूतन वार्ता के आगाज ए दोस्ती विशेषांक का लोकार्पण भी किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का संचालन करते हुए इप्ता के प्रदेश महासचिव सतीश कुमार ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया व सुधीर डोभाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान मनु वंदना ने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाया वहीं अनन्या ने कथक नृत्य किया। कार्यक्रम में मेरा रंग दे बसंती चोला पर कलाकारों ने नृत्य किया वहीं गढवाली लोक गीत की प्रस्तुति इप्टा के कलाकारों ने गढवाल की सस्कृति को प्रदर्शित किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि का स्वागत शहीद भगत सिंह चैक पर किया गया व उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ कार्यक्रम स्थल तक लाया गया। कार्यक्रम में गांधी ग्लोबल फैमिली के सदस्य रवि नितेश शाह ने संस्था की विस्तार से जानकारी दी वहीं इप्टा की ममता राव ने इप्टा के गठन से लेकर वर्तमान तक की गतिविधियों की जानकारी दी। इस मौके पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राम मोहन राय, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अशोक अरोड़ा, इप्टा के प्रदेश अध्यक्ष धर्मानंद लखेड़ा, पूर्व विधायक व उत्तराख्ंाड क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला, उपेंद्र थापली, सभासद प्रताप पंवार, दर्शन रावत, मनीषा खरोला, आरती अग्रवाल, व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, सतीश ढौडियाल, नागेंद्र उनियाल, कैंट पूर्व उपाध्यक्ष महेश चंद्र, मेघ सिंह कंडारी, विनोद सेमवाल, वसीम खान, स्मृति हरि सहित बड़ी संख्या में देश के 11 राज्यों से आये प्रतिनिधि प्रतिनिधि व स्थानीय इप्टा के साथी मौजूद रहे।
पत्रकारों से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसान आंदोलन का समर्थन करते रहेंगे नेता राज्यसभा के रूप में भी अपने संबोधन में यह मामला उठाया। सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कहा कि अंग्रेजों के राज में छह ऐसे आंदोलन हुए थे जो कि साल साल भर चले लेकिन आखिर अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा व कानून वापस लेना पड़ा। राजीव गांधी के समय भी 88 में राकेश टिकैत के पिता के समय आंदोलन हुआ था वहीं हमने भी समानांतर आंदोलन वोट क्लब में करना था लेकिन वहां पर दो दिन पहले ही टिकैत पचास हजार किसानों को हुक्का, चारपाई लेकर आ गये तब यह रैली लाल किले में की हमने उन्हें हटाया नहीं जबकि दस लाख लोग रैली में शामिल थे।किया उसका में जनरल सेक्रेट्री था। ऐसे में सरकार को इस आंदोलन को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसदीय राजनीति अलग होती है व व्यक्तिगत राजनीति अलग होती है। संसद में हम एक दूसरे के कार्यों की आलोचना करते है सरकार ने किसान बिल गलत लाया उसके खिलाफ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी मंत्री को गाली दें। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी संसद के सदस्य है जनता ने चुनकर भेजा है। देश की आजादी में भी मतभेद थे गांधी का अलग रास्ता था, अस्फाक उल्ला, सुभाष चंद्र बोस का अलग रास्ता था लेकिन सभी का मकसद एक था। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सबसे पहले राज्य का दर्जा बहाल किया जाय व चुनाव कराया जाय। देश की सबसे पुरानी स्टेट है 1846 की है जो 176 साल पुरानी है।

 

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