मसूरी
पहाड़ों की रानी मसूरी को संगीत और गीतों की धुन से सराबोर करने और नगर में स्वर कोकिला के रूप में जाने जानी वाली महान संगीतकार, राष्ट्रपति से पुरस्कृत शिक्षिका चंद्रलेखा त्रिपाठी उर्फ चांद दीदी का रविवार रात साढ़े तीन बजे निधन हो गया। दीदी के भाई मनोरंजन त्रिपाठी और नवीन ने बताया कि बीती रात ही लखनउ से उनसे बात हुई थी। वे 80 बरस की थी। उनके निधन का समाचार मिलते ही समूचे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। चांद दीदी ने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित किया। वे अविवाहित थी। तबले की थाप ही उनकी जीवन साथी के रूप में अंतिम सांस तक रही।
मालूम हो कि स्व केश्वानंद त्रिपाठी की पुत्री चंद्रलेखा त्रिपाठी का जन्म 8 मई 1941 को मसूरी में ही हुआ था यहीं पर मसूरी गल्र्स इंटर कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के बाद विद्यालय में ही संगीत शिक्षिका के रूप में सेवा की। उन्होंने अब तक सैकड़ो युवतियों व युवकों को संगीत व नृम्य में पारंगत किया जो आज देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। पदमश्री सिने अभिनेता स्व. टाॅम आल्टर, उत्तराखंड की स्वर कोकिला मीना राणा, आवाज पंजाब दी फेम मनु वंदना सहित अनेक हस्तियों को उन्होंने संगीत की शिक्षा दी। उनके निस्वार्थ भाव से संगीत सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रपति की ओर से उप राष्ट्रपति कृष्ण कांत ने शिक्षक दिवस पर 5 सितंबर 2001 में राष्ट्रपति पुरूस्कार दिया। वहीं कई बार राज्य स्तरीय व शहर स्तरीय पुरस्कार मिले। चंद्र कुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान मसूरी ने भी उन्हें सम्मानित किया। चन्द्र लेखा त्रिपाठी की टीम ने राष्ट्रपति भवन से लेकर राज्यपाल भवन में भी कई बार कार्यक्रम दिए वहीं मसूरी के ख्याति प्राप्त वुड स्टाक स्कूल सहित अन्य स्थानों पर भी कई संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उन्होंने चंद्र कुंवर बत्र्वाल की कविताओं को गीत के रूप में भी प्रस्तुत किया। मसूरी शरदोत्सव हो या विंटर लाइन कार्निवाल सभी में उनकी टीम संगीत व नृत्य का प्रदर्शन करती थी और सेवा निवृत्त होने के बाद भी उन्होंने बच्चों को निःशुल्क संगीत की शिक्षा देने का कार्य करती रही व मृत्यु के दिन तक वह संगीत की सेवा करती रही।
मसूरी गल्र्स इंटर कालेज में संगीत की अध्यापिका के तौर पर सैकड़ों बालिकाओं को संगीत और गीत का ककहरा पढ़ाया और गुणाया। दीदी से शिक्षित-दीक्षित छात्राओं ने गीत और संगीत की दुनिया में अहम मुकाम हासिल किया। मीना से लेकर मनु वंदना तक एक लंबी फहरिस्त है। दीदी के सौम्य स्वभाव का हर कोई कायल था। दीदी 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाड गेम्स के दौरान ने छात्राओं के दल को लेकर गई थी। दीदी को उत्कृष्ट शिक्षिका के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। दीदी ने चंद्रकुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान से जुड़कर हिमवंत कवि बत्र्वाल की रचनाओं को संगीतद्व किया। ऐसे ही उनके द्वारा संगीत और गीत देश भर के सांस्कृतिक मंचों पर अमिट छाप छोड़ने में कामयाब रहे। 2015 में उन्हें चंद्रकुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया था। उनके निधन पर प्रदेश भर के संगीतकार,साहित्यप्रेमियों,समाजसेवियों और राजनीतिकों शोक व्यक्त किया। मसूरी गल्र्स इंटर कालेज की प्रधानाचार्या अनीता डबराल, पूर्व प्रधानाचार्या आभा शैली , संतोष आर्य, मासंती धनाई, चंद्रकुंवर बत्र्वाल शोध संस्थान के केंद्रीय सचिव डा योगंबर सिंह बत्र्वाल, चंद्र कुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान के मसूरी अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार शूरवीर सिंह भंडारी, पत्रकार बिजेंद्र पुंडीर,पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता , पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिककाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, बीरेंद्र सिंह कैंतुरा, पूर्व छावनी सभासद नरेंद्र पडियार, पूर्व छावनी सदस्य और भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष पुष्पा पडियार, धनेंद्र सिंह पुंडीर, जिला महिला मोर्चा पदाधिकारी अनीता पुंडीर, गणेश सैली, भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, कुशाल सिंह राना, सुभाषिनी बर्त्वाल . अनीता सक्सेना , अनीता पुंडीर . उत्तराखंड होटल एसोसियेशन अध्यक्ष संदीप साहनी, एडवोकेट मनोज सैली, रणबीर सिंह, आलोक मेहरोत्रा, संजय अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, व्यापार संध अध्यक्ष रजत अग्रवाल, कमल शर्मा, मातृशक्ति की अध्यक्ष स्मृति हरि, मेघ सिंह कंडारी , अनुज तायल , जगजीत कुकरेजा, नागेद्र उनियाल, पूर्व छावनी उपाध्यक्ष महेश चंद्र, राजेश कनोजिया, समेत नगर के गणमान्य व्यक्तियों, समाजसेवियो, बुद्विजीवियों, कला प्रेमियों और साहित्यकारों ने शोक व्यक्त किया।