एमआईएस में बीके शिवानी ने छात्राओं को सकारात्मक सोच विकसित करने का आहवान किया

मसूरी

मसूरी। मसूरी इंटर नेशनल स्कूल में आध्यात्मिक गुरू सिस्टर शिवानी ने विद्यालय परिसर में छात्राओं के आध्यात्मिक विचार को प्रमुखता देे के लिए प्रेरणा दी। उन्हांेने आध्यात्मिक विचार धारा से छात्राओंको प्रोत्साहित किया और जीवन में शांति स्थापितकरने के लिए जीवन में सकारात्मक सोच को विकसित करने का आहवान किया।
मसूरी इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बीके शिवानी ने कहाकि सकारात्मक सोच के लिए सोचने के तरीके को बदलना होगा, जैसे हमारी सोच होगी वैसा ही कर्म होगा और कर्मो से ही भाग्य का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि मन का निर्माण करने में अन्न का विशेष स्थान होता है, अन्न को ही परमात्मा का रूप भारतीय दर्शन में माना गया है। इसलिए जीवन की शुरूआत अच्छे और सच्चे विचारों के करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता और शिक्षा के एकीकरण का प्रयास समय के साथ बदलते समाज में एक महत्वपूर्ण और जरूरी कदम है। शिक्षा के क्षेत्र में नई सोच और दिशा निर्देशन की जरूरत है। जिससे छात्राओं को अधिक पूर्ण विकास मिल सके। सिस्टर शिवानी ने इसी दिशा में छात्राओं को ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन सफलता के नए आयाम पाये जा सकें और हमारे आंतरिक मन को शांति प्राप्त हो सके, यह तभी संभव होगा जब सचरित्र का निर्माण होगा। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्या मीता शर्मा ने सिस्टर शिवानी को गुलदस्ता देकर स्वागत किया।
नगर पालिका टाउन हाल में आयोजित आर्ट आॅफ वोजिटिव थिंकिंग पर बोलते हुए इंटरनेशन स्प्रिचुअल गाईड एवं मेंटोर आध्यात्कि गुरू सिस्टर शिवानी ने कहा कि हमेशा जीवन की चुनौतियों को छोटा मान कर चलना चाहिए, ऐसी सकारात्क सोच के परिणाम निश्चित की फलदायी व अच्छे निकलते है।
अपने आध्यात्मिक संबोधन में बीके शिवानी ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक मेज को कोई भारी कहेगा, कोई हल्की कहेगा, कोई बोलेगा उठती नहीं कोई बोलेगा उठ जायेगी यह सोच का फर्क है इसलिए जीवन में किसी भी बात को बड़ी नहीं माननी चाहिए, इसके लिए मन में साइज बनाना चाहिए अगर बडा बनायेगे तो बात बढ जायेगी अगर साइज छोटा बनायेगें तो बात बन जायेगी। इससे जीवन आसान हो जायेगा। ऐसा सोचने से समस्याओं के समाधान निकालने में आसानी होगी व उसके सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। कभी भी जीवन की बातों को दूसरों के लैंस से नही देखना चाहिए, अगर मन जीत पाना चाहता है तो उसे अपने लैंस से देखंे इससे उसका समाधान करने की शक्ति मिलेगी, उन्हांेनेे कहा कि मसूरी के लोग पहाड़ों पर रहते है तो वे पैदल कहीं भी चले जाते है, लेकिन अगर किसी बाहरी व्यक्ति को कहेंगे तो वह नहीं चल सकता उसके लिए उन्हें प्रयास करने होंगे। अगर जीवन में कोई बड़ी बात हो जाये तो उसे कहे कि यह कोई बात ही नहीं है, इसमें कौन सी बात है, तो समाधान आसान हो जायेगा अगर छोटी बात को भी बडा मान लिया तो वह बड़ी बन जायेगी। किसी भी बात को आने पर उसे कल्याणकारी मानें तो उस सोच से कल्याण होगा। जो हुआ अच्छा ही हुआ तो वह कल्याणकारी हो जायेगी। उन्होंने एक और उदाहरण दिया कि कोई बच्चा पढ रहा है वह आगे किस कालेज में जायेगा उसके बारे में पहले से प्लान बना देते हैं व बच्चा भी चाहता है कि अच्छे कालेज में जाना है लेकिन कभी कभी ऐसा नहीं होता व उन्हें दूसरे कालेज में एडमिशन लेना पड़ जाता है उसे गलत माना जाता है बच्चा भी कहता है मेरे साथ अच्छा नहीं हुआ। ऐसे में कभी न सोचें की अच्छा नहीं हुआ उसे सकारात्मक तरीके से सोचें कि उसे यहां पर ही एडमिशन मिलता था और यहां से पढकर ही कल्याण होगा। इसके लिए बच्चों में सही संस्कार डालने चाहिए उसके बारे में गलत नहीं सोचना है उसमें कल्याण देखना है अगर ऐसी सोच बनेगी व बच्चा इसे स्वीकार कर लेगा तो कल्याण होगा, अगर जमीन में गलत या पुराना बीज लगाओगे तो वृक्ष व फल वैसे ही होगे इसके लिए अच्छे बीज को बोयें ताकि अच्छा फल मिले इसके लिए बीज को बदलना होगा। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ बीके शिवानी व व्यापार संघ के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने दीप प्रत्वलित कर किया। इस मौके पर धन प्रकाश अग्रवाल, राम कुमार गोयल, अतुल अग्रवाल, जोगेंदर सिंह, कविता नेगी, जसोदा शर्मा, सरिता पंवार, प्रमिला पंवार सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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