एस आई नीरज कठैत के तबादले को लेकर सियासत गरमाई, सत्ता की हनक में विधायक बत्रा भूल गए शिष्टाचार या पुलिस मैन्यूल से हुआ तबादला, सोम दादा पढ़ा गए थे शिष्टाचार, पर आज नही हो रहा अनुसरण

मसूरी राजनीति
भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल

मसूरी
यू तो लोकतंत्र में विधायकों की हनक-खनक यत्र तत्र सर्वत्र सुनाई ही देती है। मगर कई बार सत्ता प्रतिष्ठान से जुडे नेता भी शिष्टाचार की सीमा लांघ देते है। सब नही होते है दिवगंत सोम दादा के जैसे नैतिक मूल्यों को संजोने वाले प्रतिनिधि। बताते चले कि तीन दिन प

हले रूड़की के विधायक प्रदीप बत्रा सपरिवार मसूरी घूमने आए थे। मास्क न पहनने पर किए गए चालान से ये हंगामा क्यो हैं बरपा जानिए। कम उम्र के बच्चों की जिद और अडियले रवैये ने विधायक बाप की छिछलेदर करवा दी। लेकिन विधायक की सत्ता की हनक ने विधायिका पर भी कई सवाल खड़े कर दिए है। आज याद आता है जब देश के लोकतंत्र के मंदिर समझे और माने जाने वाले लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में लैक्चर देने आए थे। और परिवार के साथ शाम को मालरोड पर कार से घूमने निकले थे। उस वक्त मालरोड के दोनों बेरियर की पहरेदारी बुजुर्गवार यानि सीनियर सिटीजन कौंसिल के लोगों के जिम्मे थी। बड़े अदब से बुजुर्गो ने सोमदादा के कार का पांच सौ रूपये का चालान किया। तो सोम दादा ने चालान का दंड का भुगतान भी किया और शाबासी भी दे गए। सोम दादा से बातचीत के लिए मैं भी उस वक्त लोअर मालरोड पर गया था। वहां पर सोम दादा भुट्ट खा रहे थे। और ठेली से चाय भी पी और मुझे भी आॅफर की। मै खबर लिखने घर लौट गया। कुछ देर में एक खबर फिर हाथ लगी की कि लोकसभा अध्यक्ष का चालान कट गया। पहले यकीन नही हुआ। घटना की जानकारी ली तो पता चला कि सोमदादा की कार पांच बजे बाद मालरोड से बाहर लाइब्रेरी बेरियर से निकल रही थी। वहां पर मौजूद बुजुर्गो नंे हाथ जोड़कर सोम दादा को रोका और चालान की पर्ची थमा दी। जब सोम दादा को पता लगा कि उन्होंने नियम का उल्लंघन किय तो गलती मानी और लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की आस्था कितनी गहरी होनी चाहिए इसका पाठ भी पढ़ा गए। अब तो आलम यह है कि छुटभैया नेता भी बेरियर पर पुलिस से लेकर बेरियर कर्मचारियों को फलां-फलां नेता को फोन कर कर्मचारियों को धमकाने से बाज नही आते। यह रोजाना की ढर्रा हैं। विधायक प्रदीप बत्रा अपवाद नही हैं। बस गलती इतनी थी बत्रा कि वे डिप्लोमेटिक तरीके से पेश नही आए। पुलिस वाले तो आम कार्यकर्ता की सुन लेते है। ऐसे में क्या मजाल की विधायक की नही सुनते। मगर जो तथ्य सामने आए। उससे यह प्रतीत होता है कि विधायक बाल-बच्चों के साथ आए थे। बच्चे विधायक बाप की धौंस पटी दे रहे थेे। विधायक को मजबूरन तल्खी दिखानी पड़ी। लेकिन विधायक का एक और अक्षम्य कसूर यह रहा जो वीडियो वायरल हुए। वह यह कि भारतीय करेंसी को मुंह पर फेंकना। बात यहां पर खत्म नही हो जाती। विधायक की तल्खी और बढ़ गई और रूड़की में दे दनादन बयान दे डाले। और ठीक दो दिन बाद जिस एसआई नीरज कठैत ने चालान किया था

। उसको मसूरी से रवाना कर दिया गया। अच्छा यह रहा कि नीरज को लाइन हाजिर नही किया गयां। और किया भी नही जाना चाहे था। खाकी वर्दी में विधायक को सबक सिखाने के लिए तमगा तो नही मिलेगा। लेकिन पुलिस महकमे के लोग मन के अंदर खुश जरूर हो रहे होंगै। हालांकि नीरज के तबादले के बाद कम पुलिस कर्मी ही ऐसा जोखिम उठाएंगे। विधायक का चालान फिर चालानकर्ता एसआई का तबादला अब प्रतिपक्ष के लोगों के लिए घर बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। सो आज पूरे दिन कचहरी में घेराव वाली स्थिति बनी रही। छोटे-मोटे दल से लेकर बड़े दल भी एसडीएम के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन थमाने बारी-बारी से पहुंचते रहे। इतनी जारूकता न तो पेट्रोल के बढ़े दाम के लिए थी। और न ही वैक्सीनेशन और बढ़ती मंहगाई के लिए। जितनी तत्परता राजनीतिक दलों ने भाजपा विधायक की घेराबंदी के लिए की। और होती भी क्यों नही। सार्वजनिक जीवन जीने वालों को मर्यादा और शिष्टाचार का पालन तो करना ही चाहे। इसलिए दलों और संगठनों को ज्ञापन देना तो वाजिब था ही। मनाही नही।

कांग्रेसियों ने शहर अधक्ष गौरव अग्रवाल के नेतृत्व में शहीद स्थल झूलाघर में नारेबाजी की और एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा। और एसआई के तबादले को गैर जरूरी और सत्ता ही हनक करार दिया। लगे हाथ कांग्रेसियों को एक प्रतिनिधिमंडल शहर कोतवाल राजीव रौथाण से भी मिला। जिसमें पालिका सभासद सुरेश थपलियाल, सरिता देवी, दर्शन सिंह रावत, नंदलाल सोनकर, पूर्व सभासद विनोद सेमवाल, सरिता पंवार, समेत अनेक लोग शामिल थे। वही दूसरी और मसूरी टे्रडर्स वेलफेयर एसोसियेशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल के नेतृत्व में ज्ञापन देने वालों में महामंत्री जगजीत कुकरेजा, नागेंद्र उनियाल,मनोज अग्रवाल, सतीश जुनेजा, अरविंद सोनकर, अनंत प्रकाश, रामू भाई, सोनू भाई शामिल थे। आम आदमी पार्टी के शहर अध्यक्ष सुधीर डोभाल ने भी एसडीएम को ज्ञापन देकर एसआई के तबादले को राजनीति से प्रेरित करार दिया और निंदा की। सामाजिक कार्यकर्ता पं मनीष गौनियाल तो भाजपा पर जमकर बरसे। और कहा कि भाजपा सत्ता के मद में इतनी चूर है कि उनके विधायक कानून से भी उपर मानने लग गए है। एसआई के तबादले को तत्काल निरस्त करने की मांग की। इसके साथ ही दिनभर अन्य लोग भी एसआई नीरज की जिन लोगों ने शक्ल तक भी नही देखी और उनके बारे में सुना भी नही होगा। उन्होंने भी सहानुभूति जतायी। एसआई नीरज कठैत को प्रति इतनी सहानुभूति पुलिस महकमे में मसूरी में तो कम से कम नही सुनाई और दिखाई दी। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा मंडल अध्यक्ष ने 16 पुलिस कांस्टेबल और एसआई नीरज के तबादले को रूटीन बताया। उनका कहना है कि तबादला सामान्य प्रक्रिया है। इस पर राजनीति करना गलत है। शहर कोतवाल राजीव रौथाण भी मानते है कि तबादला सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। यह पुलिस मॅन्यूल में भी है कि तीन से अधिक साल वालों को ट्रांसफर होना ही होता है। एसआई नीरज भी तीन साल पूरे कर चुके थे। और अपना तबादला चाह भी रहे थे। अधिवक्ता यस गुप्ता ने विरोध स्वरुप लौटाए कोरोना वारियर्स के तमाम सर्टिफिकेट,

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