मसूरी
मसूरी गोलीकांड के 27 वर्ष बीते गए मगर आज जैसा मंजर सिर्फ 2 सितंबर 1994 में ही दिखा। राज्य बनने के बाद कमोवेश सभी मुख्यमंत्री शहीद स्थल पर श्रद्वांजलि देने आए। मगर आज पुलिस का जो पहरा लगा था। उसने 27 साल पहले का मंजर ताजा कर दिया। बस कमी एक ही थी कि 2 सितंबर 1994 को पुलिस और पीएसी सजो-सामान के साथ थी। हाथों में राइफलें थी। झूलाघर के पास असलाह और बारूद और आंसू गैस के ढेर लगे थे। चारों और खाकी का पहरा था। उस वक्त मुलायम की फौज ने आंदोलनकारियों पर ताबड-तोड़ गोलियां दागी थी। लेकिन आज जो मंजर दिखा। इतनी पुलिस संभवतः उस दिन भी नही थी। आज शहीद स्थल पर पुलिस का पहरा इतना खौफनाक था, श्रद्वांजलि देने पहुंचे लोग आधे रास्ते से ही लौट गए। मसला सिर्फ इतना भर था कि शिफनकोर्ट के बेघरों की मांग को लेकर समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी की और से प्रेस वार्ता कर काले झंडे दिखाने की घोषणा कर दी। जिस घोषणा से पुलिस और प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। सीएम धामी पर सबकी नजर टिकी थी। उनके आगमन को लेकर पुलिस के पेशानी पर बल पड गए थे। एसडीएम मनीष कुमार समेत पुलिस के आला अधिकारी और भाजपा के स्थानीय नेता भी आंदोलनकारियों से बात करना चाह रहे थे। मगर आंदोलनकारी सीएम के आने का इंतजार तक शहीद स्थल में डटे रहे। तय हुआ कि सीएम और अन्य अतिथियों का किसी भी प्रकार का विरोध नही होगा। बातचीत करवा दी जाएगी। मगर कई बार शहीदस्थल पर तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई थी। प्रशासन की सूझबूझ से विवाद नही बढ़ा। बताते चले कि आंदोलनकारियो की श्रद्वांजलि सभा में खलल पैदा करने की नही थी। न ही सीएम का सीधे तौर पर विरोध था। बस आंदोलनकारियों की आड़ में कुछ अन्य राजनीतिक दलों के लोग इक्कठा होकर काबीना मंत्री गणेश जोशी के विरोध करना चाह रहे थे। और हुआ भी वही। सीएम को मसूरी से सकुशल वापिस के बाद पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
वरिष्ठ भाजपा नेत्री अनीता सक्सेना ने सीएम को ज्ञापन देकर चिन्हित आंदोलनकारी की पेंशन 10 हजार करने की मांग की
भाजपा नेत्री अनीता सक्सेना ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दो ज्ञापन पत्र सौपें। एक ज्ञापन में श्रीमती सक्सेना ने चिन्हित राज्य अंादोलनकारियों की पेशन एक समान करने की मांग की। और कम से कम दस हजार रूपए करने की मांग की। इस पर सीएम धामी ने कहा कि उनके संज्ञान में है। और वे भी 3100 रूपये पेंशन लेते हैं। सीएम धामी ने कहा कि जब खटीमा गोलीकांड हुआ था, तब वे इंटर में थे। और आंदोलन को करीब से देखा। इसलिए आंदोलनकारियों की पीड़ा समझते है। सीएम ने आश्वस्त किया कि इस पर विचार किया जाएगा। वही श्रीमती सक्सेना ने दूसरे ज्ञापन में झड़ीपानी मोटर मार्ग के सुदृढ़ीकरण की मांग की।
सिफन कोर्ट के बेघरों ने शहीद स्थल पर धरना दिया
पूर्व घोषणा के अनुसार सिफन कोर्ट बेघर मजदूर निर्बलवर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति के तत्वाधान में सिफन कोर्ट के बेघर शहीद स्थल पर पहुच गये व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद वहीं पर धरना दे दिया। जिन्हें हटाने के लिए पुलिस प्रशासन को कड़ी मशक्क्त करनी पड़ी लेकिन वह नहीं माने लेकिन शहीद स्मारक समिति के अनुरोध पर वह मंच से हट गये व शहीद स्थल पर ही बैठ गये। पुलिस व प्रशासन ने अंत तक उन्हें हटाने का प्रयास किया लेकिन उन्हें हटा नही पाये। लेकिन मुख्यमंत्री को काले झंडे न दिखाने का भरोसा दिलाने के बाद प्रशासन शांत हो गया। मुख्यमंत्री के आने पर आंदोलन के संयोजक प्रदीप भंडारी ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन पढकर सुनाया व समस्या के समाधान करने की मांग की। जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी मांग जायज है यह मामला विधानसभा में भी उठाया गया वह शीघ्र इसका समाधान करेंगे व कहा कि रोपवे तब बनेगा जब सिफन कोर्ट के बेघरों की समस्या का समाधान हो जायेगा। इस मौके पर प्रदीप भंडारी, संजय टम्टा, कमल भंडारी, गंूज संस्था की अध्यक्ष डा. सोनिया आनंद, उक्रांद, की प्रमिला रावत, एटक अध्यक्ष आरपी बडोनी, राज्यआंदोलनकारी पूरण जुयाल, मनीष गौनियाल, कांग्रेस अध्यक्ष गौरव अग्रवाल, सहित बड़ी संख्या में सिफन कोर्ट के बेघर महिलाएं व पुरूष थे।
बाक्स- इस बार मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने की घोषणा के बाद पूरा प्रशासन व पुलिस सतर्क रही। शहीद स्थल सहित पूरा झूलाघर क्षेत्र को पुलिस छावनी मंे तब्दील कर दिया गया था। जिससे एक बार फिर 1994 की घटना याद आ गई। भारी पुलिस बल तैनात करने से लोगों में भय व्याप्त हो गया। वहीं शहीद आंदोलनकारी हंसा धनाई के पति व आंदोलनकारी भगवान सिंह धनाई ने पुलिस का जमकर विरोध किया व कहा कि यहां से पुलिस बल हटाया जाय ताकि लोगों में भय न रहे जब मुख्यमंत्री आये तो फिर आ जायें। जिस पर शहीद स्थल से पुलिस बल हटाया गया, लेकिन मुख्यमंत्री के आने के बाद आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने कडी नजर रखी व चारों ओर से घेरा डाल कर सिविल वर्दी में महिला व पुरूष पुलिस कर्मियों को भी उनके बीच बिठा दिया ताकि कोई हरकर न कर सके।