कवियों की दिव्य वाणी से गुंजायमान हो उठी पर्वतों की रानी मसूरी

उत्तराखंड मसूरी

मसूरी। आर्यम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन की भारत शाखा के तत्वावधान में संचालित भगवान शंकर आश्रम परिसर के रुद्र मंडप में होली पर्व के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन शब्दयोग रंगोत्सव का आयोजन किया गया। देशभर से पधारे कवियों की मधुर वाणी से पर्वतों की रानी मसूरी गुंजायमान हो उठी।
काव्यसंध्या के सत्र को आशीर्वचन देते हुए परम प्रज्ञ जगतगुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम जी महाराज ने साहित्य और अध्यात्म के योगदान पर प्रकाश डालते हुए इसके परस्पर संयोजन को स्पष्ट किया। इस काव्यसंध्या की संयोजक संचालक कंचन पाठक ने अपनी रचना घन विश्वास हैं रघुवर कि मन के ताप हरते हैं, ये दो शब्दों का जादू है हृदय में प्राण भरते हैं। कि जप ले राम को बंदे उचारो लाख आवृति में, यही वह नाम है जिसमें भू मग अंबर उतरते हैं के माध्यम से भगवान श्री राम के दिव्य स्वरूप का रेखांकन किया। ओज के हस्ताक्षर हरियाणा से पधारे कुमार राघव ने संबंधों के ताने बाने अपने शब्दों में कविता पाठ करते हुए कहा कि दिन के पीछे रात पहुँच ही जाती है, यादों की सौगात पहुँच ही जाती है, लाख छुपाऊँ चेहरे की भाषा से मैं, माँ तक मेरी बात पहुँच ही जाती है। सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया। मनीषा जोशी ने माँ बिटिया के मध्य स्नेह की डोर को कुछ इस तरह से परिभाषित किया “मैंने जीवन में जो खोया तुमको वो न खोने दूँगी वादा है, तुमसे ये बिटिया तुमको मैं न रोने दूंगी, जैसा जीवन ढोया मैंने तुमको वो न ढोने दूँगी वादा है तुमसे, ये बिटिया तुमको मैं न रोने दूंगी, कविता से मां की ममता को सुंदर शब्दों से सजाया।शब्दों के चितेरे कवि पंकज अंगार ने अपनी रचनाओं से खूब वाहवाही बटोरी उन्हांेने रंग हजारों भाते होंगे उसकी कत्थई आँखों को, सपने रोज रिझाते होंगे उसकी कत्थई आँखों को, जिसके आगे सब जादूगर खुद को बेबस पाते है,ं
कितने जादू आते होंगे उसकी कत्थई आँखों को, सूरज राय सूरज ने सामाजिक संबंधों के मध्य दरकते सरोकारों की नब्ज़ बहुत ख़ूबसूरती से टटोली व उनकी कविता को खूब सराहा गया। उन्होंने चेहरों पर मुस्कान दिलों में लेकर खाई बैठे हैं, करके सारे लोग हिसाबे पाई पाई बैठे हैं, आज वसीयत करने वाले हैं बाबूजी दौलत की, घर में पहली बार इकट्ठे सारे भाई बैठे हैं, चेतना के दीप्तस्वर श्याम प्रताप सिंह के काव्य पाठ पर मंडप देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा उन्होंने पेड़ नदियां हवा, ये वतन राम का, आओ करते हैं चिंतन मनन राम का, किस अहम् में हो तुम क्या तुम्हारा यहां, है ये तन राम का, है ये मन राम का। कवि ओंकार शर्मा ने अपनी रचनाओं से इतिहास को दर्पण दिखाने का प्रयास किया व कविता सुनाई कि “रण में पड़े निहत्थे पर, न सिंघो ने संधान किया, सेना सहित सिकंदर को, पोरस ने जीवन दान दिया, काव्यसंध्या की सूत्रधार श्वेता जायसवाल रही जबकि अध्यक्षता आर्य समाज के वरिष्ठ व्यक्तित्व सुनील कुमार आर्य ने की। कार्यक्रम के आयोजन में माँ यामिनी श्री, प्रतिभा श्री, हर्षिता आर्यम, अक्षिता श्री, वर्षू शर्मा, अविनाश जायसवाल, शालिनी श्री, गौरव स्वामी ,सुनील कुमार, उत्कर्ष सिंह का सहयोग रहा। इस अवसर पर फ़िल्म अभिनेता विपिन कौशिक जिन्होने लव इन यूक्रेन आदि फ़िल्मों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया भाग लेने आश्रम पहुँचे। सम्मेलन में लगभग 400 व्यक्तियों ने भाग लिया।

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